है कोरोना करा रहे टायफाइड का इलाज, 1 महीने में दोगुनी हुई मौत

दरअसल बोकारो में ज्यादातर लोग इस बात को लेकर संशय में हैं कि उन्हें कोरोना हुआ या फिर टायफाइड. इससे इलाज में देरी हो रही है.

दरअसल बोकारो में ज्यादातर लोग इस बात को लेकर संशय में हैं कि उन्हें कोरोना हुआ या फिर टायफाइड. इससे इलाज में देरी हो रही है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Corona Typhoid

टायफाइड का इलाज कराने से बिगड़े बोकारो के हालात.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

एक तो वैसे ही देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के उपचार में ऑक्सीजन से लेकर अन्य जरूरी टीकों की कमी है. उस पर अज्ञानता ने स्थिति औऱ भयावह कर दी है. इसी अज्ञानता से झारखंड के बोकारो शहर में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. यहां पिछले एक महीने के दौरान मौत की संख्या दोगुनी हो गई है. पूरे राज्य की बात की जाए तो एक्टिव केस के मामले में ये शहर चौथे नंबर पर है. दरअसल बोकारो में ज्यादातर लोग इस बात को लेकर संशय में हैं कि उन्हें कोरोना हुआ या फिर टायफाइड. इससे इलाज में देरी हो रही है. डॉक्टरों का कहना है कि यहां के ग्रामीण इलाकों में लोग कोरोना टेस्ट कराने से डर रहे हैं.

Advertisment

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बोकारो के सदर अस्पताल में करीब 36 कोरोना मरीजों का इलाज चल रहा है. पास के गांव के रहने वाले 55 साल के धर्मनाथ का इलाज भी इसी अस्पताल में हो रहा है. उनके बेटे का कहना है कि शुरुआत में डॉक्टरों ने टायफाइड का इलाज किया. बाद में जब उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो फिर उनका कोरोना टेस्ट कराया गया जहां वो पॉजिटिव निकले.

40 किलोमीटर दूर पटेरवार ब्लॉक के रहने वाले राम स्वरूप अग्रवाल को पिछले महीने टायफाइड हो गया था. उन्हें पास में ही रामगढ़ के एक हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. लेकिन 28 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. मौत के बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई. यहां के गांव के प्रमुख अनिल सिंह का कहना है कि टायफाइड को लेकर गांव के लोग काफी ज्यादा कंफ्यूज हैं. अनिल सिंह ने आगे कहा, 'अग्रवाल को शुरुआती जांच में टायफाइड निकला था. जबकि उनकी कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी.'

यहां के एक सरकारी अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट अलबेला केरकेट्टा का कहना है कि लोग कोरोना का इलाज कराने से खासे डर रहे हैं. खास बात ये है कि अगर किसी की टायफाइड की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो वो राहत की सांस लेते हैं. हालांकि बाद में ऐसे लोगों की हालत बिगड़ रही है. उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि ग्राणीण इलाकों में लोगों को कोरोना को लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है.

HIGHLIGHTS

  • बोकारो में कोरोना को टायफाइड समझ लोग करा रहे इलाज
  • कोविड संक्रमण के उपचार में हो रही देरी से बढ़ी मौत दर
कोरोना संक्रमण Typhoid confusion बोकारो Bokaro Treatment corona-virus टायफाइड Jharkhand झारखंड उपचार
Advertisment