/newsnation/media/post_attachments/images/2023/07/04/bokaro-news-78.jpg)
दर-दर भटक रहा विस्थापित परिवार( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
बोकारो स्टील प्लांट ने जमीन तो ले ली, लेकिन पैसे नहीं दिए. अब पैसों के लिए एक आदिवासी महिला का परिवार दर-दर भटकने को मजबूर है. इस परिवार ने प्लांट को लगभग अपनी 1 एकड़ जमीन दी थी. अब ये परिवार मुआवजे के लिए चक्कर काट रहा है. थक हारकर परिवार ने भूमि एवं पूनर्वास निदेशालय बोकारो कार्यालय में जाकर धरना पर बैठ गए.. इस परिवार ने बोकारो प्लांट को वर्ष 1982 में ये जमीन दी थी, तभी से लोग मुआवजे के लिए चक्कर काट रहे हैं. परिवार का हाल यह है कि मुआवजा नियोजन की मांग को लेकर विस्थापित परिवार दर-दर भटक रहा है और कोई इसकी सुध तक नहीं ले रहा. बोकारो स्टील प्लांट निर्माण में लगभग 1 एकड़ जमीन देने वाली आदिवासी महिला आज खुद बेघर हो चुकी हैं.
यह भी पढ़ें- गुमला में प्रदेश की पहली महिला लाइब्रेरी की शुरुआत, छात्राओं को बड़ी सौगात
दर-दर भटक रहा विस्थापित परिवार
लगातार यह परिवार अपने विकलांग पिता को लेकर परियोजना भूमि एवं पूनर्वास निदेशालय बोकारो कार्यालय में धरना देने पहुंच गए. बता दें कि पीड़ित विस्थापित परिवार पचौरा के रहने वाले हैं. वर्ष 1982 में इस परिवार से बोकारो प्लान निर्माण के लिए लगभग 1 एकड़ जमीन ली गई थी. जमीन के एवज में मुआवजा नियोजन देने का प्रावधान था, लेकिन इतने दिन बीत जाने के बाद भी आज तक इस परिवार को नियोजन नहीं मिला है और ना ही मुआवजा. जब भी डीपीएलर कार्यालय बोकारो में यह परिवार के लोग आते हैं, तो उन्हें सिर्फ टहला दिया जाता है.
कोई नहीं ले रहा है सुध
इसी से व्यथित होकर आज अपने विकलांग पिता के साथ पूरा परिवार धरना देने पहुंच गया. दिव्यांग आदिवासी माथुर महली के बेटों ने बताया कि इन लोगों को सिर्फ टहलाया जा रहा है, किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिल रही है. कार्यालय में कागजात रहने के बावजूद भी उन्हें ना अभी तक मुआवजा मिला है और ना ही नियोजन. उनका परिवार संख्या 174 है. कार्यालयों के चक्कर लगा-लगाकर यह परिवार थक चुका है. इसीलिए आज पूरा परिवार यहां धरना देने के लिए पहुंच गए. हालांकि इस परिवार से कार्यालय का कोई भी कर्मी और अधिकारी मिलने तक नहीं पहुंचा.
HIGHLIGHTS
- दर-दर भटक रहा विस्थापित परिवार
- कोई नहीं ले रहा है सुध
- धरना पर बैठा परिवार
Source : News State Bihar Jharkhand