अवैध अतिक्रमण के नाम पर बोकारो प्रशासन की कार्रवाई, तोड़ी गरीबों की दुकाने
बोकारो के चंदनकियारी प्रखंड में राम मंदिर चौक पर प्रशासन का अमानवीय चेहरा देखने को मिला.
Bokaro:
बोकारो के चंदनकियारी प्रखंड में राम मंदिर चौक पर प्रशासन का अमानवीय चेहरा देखने को मिला. यहां दूर दूर से दो-चार दिन के लिए मिट्टी के दिए बेचने आए गरीब व्यापारियों पर प्रशासन का कहर देखने को मिला. प्रशासन के कर्मचारियों ने उनके मिट्टी के दिए और दूकानें तोड़ डाली. बोकारो के स्टील एरिया में वैसे तो कई अवैध अतिक्रमण होंगे, नक्शे के विपरीत बिल्डिंग्स बनी होंगी, छज्जे के नाम पर 4 फीट कम से कम सड़क पर छतें निकली होंगी, लेकिन वो अवैध अतिक्रण नहीं है. अगर है भी तो सिर्फ कागजों में. उस पर प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
प्रशासन ने कार्रवाई की तो गरिबों के पेट पर लात पड़ी. करवा चौथ का त्योहार था और गरीबों ने सड़क के किनारे कुछ मिट्टी के मिट्टी के दीपक रखकर दो दिन के लिए बेचने के लिए बैठ गए. इन्हें उम्मीद थी कि त्यौहार है, ग्राहक आएंगे और इनका भी त्यौहार थोड़ा अच्छे से मन जाएगा. 4 पैसे कमा लेंगे, लेकिन इन्हें क्या पता था कि इन बेचारों ने तो सरकारी जमीन पर ही कब्जा कर लिया है. बोकारो स्टील का नगर प्रशासन विभाग पूरी तरह बदतमीजी और असंवेदनशीलता पर उतारू हो गया और दूर-दूर से मिट्टी के दिए बेचने आए इन बेचारों के ना सिर्फ दिए तोड़ दिए बल्कि इनकी दुकाने हटा दीं.
प्रशासन की असंवैदनसीलता चंदन कियारी प्रखंड से राम मंदिर चौक पर देखने को मिली. यहां गरीब लोग त्यौहार पर मिट्टी के बर्तन बेचने आते हैं, जो पिछले 6-7 दशकों से मिट्टी का बर्तन बेचने का काम करते आ रहे हैं. हालांकि जैसे ही मामले की जानकारी मीडिया कर्मियों को हुई तो तुरंत मौके पर पहुंचे. मीडिया कर्मियों के कैमरे चालू होते ही गीदड़ों की तरह कमजोरों पर बल दिखाने वाला प्रशासन ने भागना शुरू कर दिया.
अब जब प्रशासन की पोल खुल चुकी थी तो जुबान तो खोलनी ही थी. सुरक्षाकर्मी अब्दुल रब ने कहा कि दुकानदारों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा था, लेकिन शिफ्ट कैसे किया जा रहा था उसका तरीका तो हमने आपको बता ही दिया. हम तो बस इतना ही कहेंगे कि अवैध अतिक्रमण करना गलत है. फिर चाहे दुकानदार हो या मिट्टी के दिए बेचने वाला या फिर कोई माफिया. जब दिए बेचने वालों पर कार्रवाई की बात आती है तो प्रशासनिक अमले के पास बहुत ताकत आ जाती है, लेकिन जब माफियाओं पर और अवैध अतिक्रमण करने वाली बड़ी मछलियों पर कार्रवाई की बात आती है तो उसी प्रशासन की सारी ताकतें खत्म हो जाती है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि प्रशासन क्या सिर्फ कमजोर और गरीबों को परेशान करने में अपनी वाहवाही समझता है?
रिपोर्ट : संजीव कुमार
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