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भाजपा का CM सोरेन पर हमला, कहा- मुख्यमंत्री बनने के नहीं है काबिल

सरायकेला व्यवहार न्यायालय पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा ने मुख्यमंत्री के खतियानी जोहार यात्रा को लेकर तंज कसा है

Updated on: 31 Jan 2023, 05:21 PM

highlights

  • भाजपा का CM सोरेन पर हमला
  • कहा- मुख्यमंत्री बनने के नहीं है काबिल 
  • खतियान 1932 से समाज को भड़काने की कोशिश

Saraikela:

सरायकेला व्यवहार न्यायालय पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा ने मुख्यमंत्री के खतियानी जोहार यात्रा को लेकर तंज कसा है. जहां उन्होंने कहा कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री के काबिल नहीं है. पूछे जाने पर कि मुख्यमंत्री ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर राज्यपाल ने 1932 खतियान के आधार पर बनने वाली स्थानीय नीति को रद्द कर दिया है के जवाब में रमेश हांसदा ने कहा कि खुद मुख्यमंत्री ने सदन में कहा था कि खतियान के आधार पर स्थानीय नीति नहीं बनाई जा सकती है. फिर अभी किस आधार पर वे यह आरोप लगा रहे हैं. 

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हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बनने के काबिल नहीं
संविधान के अनुरूप उन्होंने आज तक कोई भी कार्य ऐसा नहीं किया है, जिसकी वाहवाही की जा सके. जिस सरायकेला जिले में उन्होंने रात बिताई, उसी सरायकेला जिले में मुख्यालय थाने में आदिवासी बच्चे की मौत हुई. जिसकी जांच अभी तक मुख्यमंत्री के द्वारा नहीं करवाई गई. इसी सरायकेला जिले में बालू की स्मगलिंग चरम पर है. जिस पर मुख्यमंत्री जी ने कुछ नहीं कहा. वहीं, उन्होंने समाज को भड़काने का काम करते हुए खतियानी जोहार का नारा बुलंद करने की कोशिश की है.

इसका मतलब यह हुआ कि जिनके पास खतियान नहीं है, उन्हें जोहार करना मना है. जानकारी हो कि बीते दिन मुख्यमंत्री ने खुले मंच से कहा था कि आदिवासीयों को बोका मौका समझा जाता है और आज भारतीय जनता पार्टी के नेता के द्वारा तंज कसना पूरे मामला में आग में घी के समान बनता जा रहा है. 

खतियान 1932 को किया गया वापस
बता दें कि रविवार को राज्यपाल रमेश बैश ने हेमंत सरकार को बड़ा झटका दिया था और खतियान 1932 को असंवैधानिक बताते हुए उसे वापिस कर दिया था. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि संविधान की धारा- 16(3) के अनुसार मात्र संसद को यह शक्तियां प्राप्त है कि वे विशेष प्रावधान के तहत धारा 35 (ए) के अंतर्गत नियोजन के मामले में किसी भी प्रकार की शर्तों का अधिकार अधिरोपित कर सकते हैं. यह शक्ति राज्य विधानमंडल को प्राप्त नहीं है.