New Update
/newsnation/media/post_attachments/images/2022/09/28/dhanbad-jp-hospital-31.jpg)
परिजन ने अस्पताल प्रबंधन पर छेड़खानी और धक्का-मुक्की का आरोप लगाया है.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
0
By clicking the button, I accept the Terms of Use of the service and its Privacy Policy, as well as consent to the processing of personal data.
Don’t have an account? Signup
धनबाद में जेपी अस्पताल की मनमानी से मरीज और उनके परिजन परेशान हैं.
परिजन ने अस्पताल प्रबंधन पर छेड़खानी और धक्का-मुक्की का आरोप लगाया है.( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)
धनबाद में जेपी अस्पताल की मनमानी से मरीज और उनके परिजन परेशान हैं. दरअसल पूर्वी टुंडी की उषा रक्षित के सिर में चोट लगने की वजह से जेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. परिजनों का आरोप है कि दस दिन में एक लाख रुपये अस्पताल ले चुका है, लेकिन हालत में कोई सुधार नहीं है. अब मरीज की परिजन ने अस्पताल प्रबंधन पर छेड़खानी और धक्का-मुक्की का आरोप लगाया है. जिसे अस्पताल प्रबंधन सिरे से खारिज कर रहा है.
जहां स्वस्थ्य होने का भरोसा लिए लोग पहुंचते हैं. वहां जंग चल रही है. ये जंग है जेपी अस्पताल प्रबंधन और मरीज के परिजनों के बीच. ये जंग है मनमानी और परेशानियों के बीच. जिसमें उलझा है एक ऐसा परिवार जो इलाज का खर्च जुटाने में असमर्थ है, लेकिन उसपर दबाव है कि बिल भरो, वरना ले मरीज की जान लेंगे. हालांकि ये आरोप है मरीज के परिजनों का. आरोप इतना भर ही नहीं है. आरोप धक्का-मुक्की का भी है और महिलाओं के साथ अभद्रता का भी. जिसके लिए अस्पताल प्रबंधन के लोग और मरीज के परिजन अस्पताल गेट के बाहर भिड़ गए.
जंग के मैदान में तब्दील जेपी अस्पताल की मनमानी मरीजों के लिए सिरदर्द का कारण बन गई है. दरअसल टुंडी थाना इलाके के मैरणवाटांड की रहने वाली उषा रक्षित को 18 सितम्बर को ही अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मरीज के सिर में चोट लगी थी. हालांकि मरीज के परिजनों को अस्पताल से भरोसा मिला था 40-50 हजार के बीच इलाज हो जाएगा, लेकिन जैसे-जैसे दिन बढ़ते गए बिल भी बढ़ता गया और मरीज की हालत जस की तस रही. इतना ही नहीं अस्पताल प्रबंधन ने फिर एक बार परिजनों को लंबा-चौड़ा बिल थमा दिया. जब परिजनों ने बिल भरने से मना किया तो परिजनों के साथ न सिर्फ धक्का-मुक्की की गई. बल्कि मरीज से मिलने भी नहीं दिया गया और इलाज बंद कर दिया गया.
हैरत की बात ये कि इस अस्पताल में आयुष्मान कार्ड भी मान्य नहीं है. वहीं, मरीज के परिजनों के आरोप पर अस्पताल प्रबंधन ने भी अपनी सफाई दी है. प्रबंधन ने सभी आरोपों को नकारते हुए बेबुनियाद बताया है, लेकिन अब सवाल है कि बिल के लिए मरीज के परिजनों पर दबाव क्यों? 10 दिन में कैसे आया लाखों का बिल? अस्पताल में आयुष्मान कार्ड मान्य क्यों नहीं? इलाज के बाद भी मरीज की हालत में सुधार क्यों नहीं?
बहरहाल, मरीज के परिजन और अस्पताल प्रबंधन के बीच हुई भिड़ंत की खबर पुलिस को दी गई. पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामले को संज्ञान में ले लिया है, लेकिन इस खबर ने जेपी अस्पताल की कार्यशैली पर सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं.
रिपोर्ट : नीरज कुमार
Source : News Nation Bureau