logo-image

Jharkhand News: गढ़वा में फिर सरकारी योजना में धांधली, भवन निर्माण नाम पर पैसों का बंदरबांट

गढ़वा में घोटालों की ख़बरें मानो आम हो गई है. सरकारी योजनाओं में काम कम और धांधलियां ज्यादा होने लगी है. इस बार जिले में आंगनबाड़ी भवन निर्माण में भ्रष्टाचारियों ने जमकर सरकारी पैसों पर चपत लगाई है.

Updated on: 13 Oct 2023, 02:35 PM

highlights

  • गढ़वा में फिर सरकारी योजना में धांधली
  • भवन निर्माण नाम पर पैसों का बंदरबांट
  • अधूरे भवन फाइलों में हो गए पूरे!

Garhwa:

गढ़वा में घोटालों की ख़बरें मानो आम हो गई है. सरकारी योजनाओं में काम कम और धांधलियां ज्यादा होने लगी है. इस बार जिले में आंगनबाड़ी भवन निर्माण में भ्रष्टाचारियों ने जमकर सरकारी पैसों पर चपत लगाई है. गढ़वा के बाल विकास परियोजना के तहत मनरेगा से 17 आंगनबाड़ी भवनों का निर्माण किया जाना था. ये भवन पिछले चार सालों से बन रहे है और आज भी बन ही रहे हैं. वो अलग बात है कि भवनों का निर्माण फाइलों में पूरा हो चुका है, लेकिन धरातल पर इन भवनों का निर्माण अधर में लटका है. ये मामला किसी एक भवन का नहीं है बल्कि दो प्रखंडों में ऐसी ही धांधली की गई है.

रुपयों की हो गई निकासी

जिले में आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण के नाम पर सवेंदकों ने राशि की निकासी तो कर ली है, लेकिन निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है. पहला मामला गढ़वा सदर प्रखंड के पंचायत कोरवाडीह के गोरिमाटी का है. यहां पिछले चार सालों से बना ये आँगनबाड़ी भवन ऐसे ही हालात में है. तस्वीरों में देख सकते हैं कि पूरे भवन में पेड़ और झाड़ियां उग आई है. भवन जर्जर हो गया है. ना प्लास्टर हुआ और ना ही दरवाजे खिड़कियां लगाई गई, लेकिन इस भवन को फाइलों पर पूरा दिखाया गया है और इसके नामपर पैसों की निकासी हो चुकी है. वहीं, दूसरा मामला चिरौंजिया पंचायत का है. यहां भी Cluster का यही हाल हुआ है. आंगनबाड़ी भवन पूरा हुआ ही नहीं और राशि की निकासी कर ली गई.

यह भी पढ़ें- साहिबगंज में नहीं थम रहा अवैध खनन का खेल, वायरल हुआ माफियाओं का ऑडियो क्लिप

सहायिका ने साधी चुप्पी

जब इस धांधली को लेकर आंगनबाड़ी सहायिका से सवाल किया गया को सहायिका ने चुप्पी साध ली. जबकि दोनों पंचायत के मुखिया ने भी माना कि लापरवाही हुई है तभी अधूरा भवन पड़ा हुआ है. वहीं, इस मामले को लेकर जिले के समाज कल्याण पदाधिकारी का कहना है कि मामले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी जाएगी और बहुत जल्द भवन को पूरा किया जाएगा.

जिम्मेदार कौन?

भवन तो पूरा हो जाएगा, लेकिन सवाल उठता है कि अगर भवन पूरा हुआ ही नहीं तो राशि की निकासी कैसे हो गई? क्या ये कारनामा अकेले संवेदक का है या इसमें अधिकारियों की भी मिलीभगत है? जरूरत है कि मामले की गहनता से जांच हो ताकि पूरे भ्रष्टाचार के खेल का खुलासा हो सके.

रिपोर्ट : धर्मेन्द्र कुमार