Advertisment

23 साल के इंतजार के बाद NTPC के प्लांट से अब शुरू होगा बिजली उत्पादन

झारखंड के टंडवा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के पावर प्लांट से आखिरकार 23 सालों के लंबे इंतजार के बाद बिजली उत्पादन शुरू करने की तैयारियां पूरी हो गई हैं. बीते मंगलवार को इस प्लांट की पहली यूनिट से फुल लोड में 660 मेगावाट बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन का ट्रायल सफल रहा. उत्पादित बिजली नेशनल ग्रिड को भेजी गई. इस प्लांट में तीन यूनिटें हैं और इनकी कुल क्षमता 1980 मेगावाट की है. बीते 23 सालों में लगभग 15 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के बाद आगामी फरवरी से पहली यूनिट से नियमित तौर पर उत्पादन शुरू हो जाएगा.

author-image
IANS
New Update
electricity workers strike

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

झारखंड के टंडवा में नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) के पावर प्लांट से आखिरकार 23 सालों के लंबे इंतजार के बाद बिजली उत्पादन शुरू करने की तैयारियां पूरी हो गई हैं. बीते मंगलवार को इस प्लांट की पहली यूनिट से फुल लोड में 660 मेगावाट बिजली उत्पादन और ट्रांसमिशन का ट्रायल सफल रहा. उत्पादित बिजली नेशनल ग्रिड को भेजी गई. इस प्लांट में तीन यूनिटें हैं और इनकी कुल क्षमता 1980 मेगावाट की है. बीते 23 सालों में लगभग 15 हजार करोड़ रुपए खर्च करने के बाद आगामी फरवरी से पहली यूनिट से नियमित तौर पर उत्पादन शुरू हो जाएगा.

इस परियोजना में बिजली उत्पादन के लिए आधुनिक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. देश में पहली बार एयर कूल कंडेंस्ड सिस्टम पर आधारित तकनीक से पानी की खपत महज 20 से 25 फीसदी रह जाएगी. प्रोजेक्ट के पूरा होने से झारखंड ही नहीं बल्कि देश के कई राज्य जगमग होंगे. झारखंड के अलावा बिहार, ओडिशा, बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्यों में भी बिजली की सप्लाई की जाएगी. एनटीपीसी की जनसंपर्क सूचना अधिकारी शैवाला घोष ने बताया कि यहां जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें पारंपरिक विद्युत उत्पादन केंद्रों के मुकाबले जल की आवश्यकता लगभग 80 फीसदी कम हो जाती है.

वर्ष 1999 में एनटीपीसी की नॉर्थ कर्णपुरा नामक इस परियोजना की आधारशिला रखे जाने से लेकर अब तक इतने उतार-चढ़ाव आए कि यहां से बिजली के एक कतरे का उत्पादन शुरू करने में तकरीबन 23 साल का वक्त लग गया. तारीख थी 6 मार्च 1999, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इसकी आधारशिला रखी थी. तब उम्मीद जगी थी कि नक्सलवाद और पिछड़ेपन के लिए बदनाम इस इलाके में विकास का एक नया अध्याय शुरू होगा. लक्ष्य था कि साढ़े तीन साल यानी 2002-2003 तक यहां से बिजली का उत्पादन शुरू कर जाएगा. लेकिन शुरू से ही इस परियोजना पर कई तरह के ग्रहण लगते रहे. इस प्लांट की स्थापना के लिए जिन ग्रामीणों की जमीन ली गई है, उनके मुआवजे, पुनर्वास, नौकरी आदि को लेकर इतने गंभीर विवाद खड़े हुए कि यहां से पूरे सूबे में रोशनी फैलाने की परियोजना दो दशकों तक अंधेरी सुरंग में फंसी रही.

परियोजना के लिए मुख्य तौर पर छह गांवों की जमीन ली गई. उस वक्त जमीन अधिग्रहण का पुराना कानून लागू था. इस बीच सरकार ने जमीन अधिग्रहण को लेकर नया कानून बनाया. इस कानून में यह प्रावधान है कि जिस प्रोजेक्ट के लिए जमीन ली गई है, वह पांच साल में शुरू नहीं होता है तो जमीन रैयत को वापस कर दी जाएगी. इस प्रोजेक्ट का काम जमीन अधिग्रहण में देर और कई अन्य वजहों से सात साल बाद काम शुरू हुआ तो मुआवजे की पॉलिसी, पुनर्वास की व्यवस्था, प्रभावितों को नौकरी जैसे सवालों पर विवाद खड़ा हो गया. धरना, प्रदर्शन, आंदोलन की वजह से प्रोजेक्ट का काम प्रभावित होता रहा. पिछले 23 वर्षों में एनटीपीसी प्रबंधन, प्रशासन, पुलिस और रैयतों-विस्थापितों के बीच एक सौ से भी अधिक बार टकराव हुआ है. गोलीबारी, लाठीचार्ज, हिंसा की बेहिसाब घटनाएं हुईं. बीते मार्च महीने में भी जब पावर प्लांट की पहली यूनिट से बिजली उत्पादन का ट्रायल शुरू करने की तैयारी थी, तब प्लांट के पास विस्थापितों और पुलिस के बीच जोरदार हिंसक टकराव हुआ. अपनी मांगों को लेकर आंदोलित विस्थापितों ने पावर प्लांट के काम में लगी एनटीपीसी की सहयोगी कंपनी सिंप्लेक्स की 56 छोटी-बड़ी गाड़ियों को फूंक डाला था और दफ्तरों में जमकर तोड़-फोड़ मचाई थी. पुलिस और विस्थापितों के संघर्ष में दोनों ओर से कुल 27 लोग जख्मी हुए थे. एनटीपीसी, प्रशासन और ग्रामीणों के बीच कई बार समझौते हुए, लेकिन विवाद का कभी पूरी तरह पटाक्षेप नहीं हो पाया. इस बीच ज्यादातर रैयतों-विस्थापितों को मुआवजे का भुगतान कर दिया गया. रुकावटों के बीच परियोजना का काम धीमी गति से चलता रहा.

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Power Plant waiting for 23 years jharkhand-news NTPC plant
Advertisment
Advertisment
Advertisment