सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाली छात्रा ने किया कमाल, कबाड़ से बनाया सोलर कुकर
सरायकेला जिले के गम्हरिया स्थित एसएस प्लस टू सरकारी विद्यालय की छात्रा शीतल गोप ने अपने घर में पड़े कबाड़ से एक सोलर कुकर बनाकर कमाल कर दिखाया है. छात्रा के पास भरपूर संसाधन भी नहीं थे लेकिन जो एक चीज उसके साथ थी वह उसका जज्बा था.
highlights
- छात्रा ने घर में पड़े कबाड़ से बनाया एक सोलर कुकर
- साधारण शीशे का इस्तेमाल कर छात्रा ने बनाया सोलर कुकर
- विद्यालय का है अपना एक यूट्यूब चैनल
Seraikela:
सोशल मीडिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले एप यूट्यूब में आजकल वह हर चीज मिल जाती है जिनकी कल्पना भी हम नहीं कर सकते लेकिन प्रचार प्रसार और फेमस होने की चाह ने सरायकेला जिले के गम्हरिया स्थित एसएस प्लस टू सरकारी विद्यालय की छात्रा शीतल गोप ने अपने घर में पड़े कबाड़ से एक सोलर कुकर बनाकर कमाल कर दिखाया है. एक बक्सा नुमा सोलर कुकर जिसे सरायकेला जिले के सरकारी विद्यालय में विज्ञान की शिक्षा प्राप्त करने वाली एक छात्रा शीतल गोप ने बना कर दिखाया है. अपने आप में एक कीर्तिमान स्थापित करने जैसा काम तब संभव हो पाया जब छात्रा के पास भरपूर संसाधन भी नहीं थे लेकिन जो एक चीज उसके साथ थी वह उसका जज्बा था.
पूरे मामले पर सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका सरोज मुखर्जी ने बताया की निजी स्कूलों के तर्ज पर उनकी भी कोशिश है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र अपनी पहचान इस भीड़भाड़ वाले समाज में अलग से प्रदर्शित कर सके जिसके लिए उन्होंने अपने विद्यालय का एक यूट्यूब चैनल बनाया है. जिसमें छात्रों के द्वारा किए जा रहे सफल वैज्ञानिक प्रयासों को डाला जाता है ताकि वैसे छात्र जो आर्थिक रूप से कमजोर है और सरकारी विद्यालयों में पढ़कर समाज में एक अलग स्थान पाना चाहते हैं उनके लिए प्रेरणा बन सके. वहीं, इस सौर ऊर्जा वाले कुकर पर जानकारी देते हुए शिक्षिका ने बताया सौर ऊर्जा से चलने वाले कुकर के लिए अवतन दर्पण का इस्तेमाल करना पड़ता है लेकिन इस बच्ची ने साधारण शीशे का इस्तेमाल कर वाकई में कमाल कर दिया है.
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विद्यालय के प्राचार्य मिठाई लाल यादव ने बताया कि 2 साल पहले इस विद्यालय में विज्ञान भी सही से नहीं पढ़ाया जाता था लेकिन आज कई निजी विद्यालयों के छात्र भी उनके विद्यालय में नामांकन करवाना चाहते हैं और यह सब सिर्फ उनके प्रशिक्षित शिक्षक एवं छात्रों के लगन से ही संभव हो पाया है. उनका प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा छात्र सफलता में एक नया मुकाम प्राप्त करें.
रिपोर्ट - बीरेंद्र मंडल
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