CM सोरेन को ट्वीट कर युवती ने खोल दी धनबाद के सरकारी अस्पताल की पोल

कोलकाता निवासी रिंकी सिंह के ट्वीट ने धनबाद में सरकारी अस्पताल SNMMCH की कुव्यवस्था की पोल खोल दी है.

कोलकाता निवासी रिंकी सिंह के ट्वीट ने धनबाद में सरकारी अस्पताल SNMMCH की कुव्यवस्था की पोल खोल दी है.

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Vineeta Kumari
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Dhanbad SNMMCH

CM सोरेन को ट्वीट कर युवती ने खोल दी धनबाद के सरकारी अस्पताल की पोल( Photo Credit : News State Bihar Jharkhand)

कोलकाता निवासी रिंकी सिंह के ट्वीट ने धनबाद में सरकारी अस्पताल SNMMCH की कुव्यवस्था की पोल खोल दी है. अपने परिवार में हुए हादसे के बाद उसने झारखंड सरकार की स्वास्थ्य विभाग की कुव्यवस्था उजागर करने के लिए सीएम हेमंत सोरेन व स्वास्थ्य मंत्री को ट्वीट किया. ट्विटर के माध्यम से उसने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से बड़ा सवाल किया है कि आखिरकार स्वास्थ्य विभाग की इस कुव्यवस्था के लिए कौन जिम्मेदार है और कब यह व्यववस्था सुधरेगी. दरअसल, गत 10 अक्टूबर को धनबाद के गोविंदपुर में हुए एक सड़क हादसे में रिंकी के पिता राम बाबू सिंह की मौत हो गई. भाई शुभम, मां उषा सिंह और चचेरी बहन धनबाद के SNMMCH अस्पताल में एडमिट थे. फोन पर सूचना मिलने के बाद रिंकी कोलकाता से ट्रेन पकड़कर धनबाद पहुंची. धनबाद SNMMCH अस्पताल पहुंचने पर अपने पूरा परिवार की हालत देखी.

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रिंकी ट्विटर पर लिखती है कि अस्पताल में अपने मम्मी, भाई और बहन को तड़पता देख, यह लग रहा था कि सरकारी अस्पताल में काम करने वाले लोग इंसान नहीं होते. आगे उसने लिखा है कि भाई शुभम जो हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया, उसे बिना एक्सरे किए ही पैर का प्लास्टर कर दिया. दूसरे अस्पताल में पता चला कि भाई का पैर नहीं टूटा बल्कि स्पाइन में चोट आई है. पैर का प्लास्टर काटकर हटाना पड़ा. मां और बहन का सिर कई जगहों से फट गया था. दर्द से तड़प रही मेरी मां और बहन को बिना लोकल एनेस्थीसिया इंजेक्शन लगाए ही आंख और सिर की बोरे की तरह SNMMCH में सिलाई कर दी गई. अस्पताल में बहन और मां की जल्लाद की तरह स्टीच की गई.

मां हिल भी नहीं पा रही थी, बाथरूम नहीं जा सकती थी. SNMMCH में ट्यूब लगाने को कहा तो एक तसला जैसा बर्तन दे दिया और कहा इसमें करा दो. मां काफी कष्ट में थी, उसकी लोअर बॉडी हिल भी नहीं पा रही थी. बाद में उसे हमने डायपर पहनाया. साथ ही बताया कि मरीज को दूसरे अस्पताल में ले जाना चाहा तो 1 घंटे तक स्ट्रेचर नहीं मिला फिर स्ट्रेचर का इंतेजाम भी खुद से किया. घर के लोगों ने ही मां को स्ट्रेचर पर लिटाया, सीढ़ियों से किसी तरह डरते हुए एम्बुलेंस के पास लाये और गोद में उठाकर एंबुलेंस में लिटाया. किसी के लिए कोई वार्ड बॉय नहीं मिला.

रिंकी ने लिखा है कि रात के 8 बजे से सुबह 8 बजे तक एक भी डॉक्टर इमरजेंसी में भी देखने नहीं आया. पता नहीं वहां कोई डॉक्टर भी आता है या नहीं. आखिर सरकारी अस्पतालों की ऐसी हालत क्यों है? कैसे भरोसा करें, हम  सरकार पर? मैं सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या वो जाना चाहेंगे ऐसे हॉस्पीटल में? इसके साथ ही रिंकी ने लिखा है कि मैं ट्वीट करने के अलावा और कुछ कर भी नहीं सकती, लेकिन जो कर सकते हैं वो प्लीज कुछ करें. हॉस्पीटल का मैनेजमेंट ठीक से काम क्यों नहीं करता, क्यों हमें एक नर्स के लिए चीखना चिल्लाना पड़ता है. एक मरीज जो बुरी तरह जख्मी है, 8 घंटे बीत जाते हैं, ना एक्स-रे, ना सीटी स्कैन और ना कोई डॉक्टर, कुछ नहीं क्यों? उसने कुछ वीडियो और घायलों के बयान भी मीडिया को उपलब्ध कराए हैं. 

दरअसल, सीसीएल कपासरा से रिटायर्ड रामबाबू सिंह अपनी उषा सिंह, बेटे शुभम सिंह और भतीजी अर्चना के साथ अपने निजी वाहन से पटना से रानीगंज लौट रहे थे. रिटायरमेंट के बाद राम बाबु सिंह रानीगंज स्थित ग्रीन अपार्टमेंट में रह रहे थे. पटना से रानीगंज लौटने के दौरान गोविंदपुर के गायडेहरा में एक खड़ी ट्रक में पीछे से कार की टक्कर हो गई. इस हादसे में रामबाबू सिंह की मौत हो गई जबकि पत्नी, बेटा और भतीजी बुरी तरह जख्मी हो गई.

वहीं जब पूरे मामले की जानकारी देते हुए एएनएमएमसीएच अधीक्षक डॉक्टर अरुण वर्णवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मरीज की जान बचाई जाए, यह प्राथमिकता चिकित्सकों की होती है. उन्होंने चिकित्सक से स्पष्टीकरण पूछा तो पता चला की दो चिकित्सक ऑन ड्यूटी मौजूद थे. उन्होंने मरीजों की चिकित्सा की और तमाम तरह के जांच लिखें. एमआरआई की व्यवस्था उनके अस्पताल में नहीं है. सीटी स्कैन पीपीपी मोड पर काम करता है, इसके लिए मरीजों को बहुत कम पैसे का भुगतान करना पड़ता है. लापरवाही नहीं की गई है, मरीज की जान बचाने के लिए ब्लड रोकने के लिए स्टिच जल्दी दिया जाता है, लेकिन लोकल एनिस्थिसिया देने के बाद ही. अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गए तमाम आरोप बेबुनियाद है. ट्वीट करने की आजादी सबको है.

रिपोर्टर- नीरज कुमार

Source : News State Bihar Jharkhand

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