Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के सुरम्य पर्यटन स्थल पहलगाम के बैसरन में मंगलवार को हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों से धर्म पूछकर बेरहमी से गोलियां बरसाईं, जिसमें कई लोगों की जान चली गई, लेकिन इस भयावह मंजर के बीच एक नाम ऐसा भी है, जो कश्मीर की असली पहचान - इंसानियत और मेहमाननवाज़ी - का प्रतीक बनकर सामने आया. यह नाम है सैयद हुसैन शाह का, जिन्होंने अपनी जान की परवाह न करते हुए पर्यटकों की जान बचाने की कोशिश की.
कौन है कश्मीरियत की मिसाल बने सैयद हुसैन शाह
सैयद हुसैन शाह को पहलगाम आतंकी हमले में किसी हीरो की तरह देखा जा रहा है, क्योंकि उसने टूरिस्टों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी है. सैयद हुसैन पेशे से घुड़सवार गाइड थे, अशमुकाम इलाके के निवासी हैं और पिछले कई वर्षों से पहलगाम में आने वाले देश-विदेश के सैलानियों को अपने घोड़े पर बैसरन, चंदनवाड़ी और अन्य खूबसूरत स्थानों की सैर कराते आ रहे थे. सैयद की जिंदगी का मकसद था कश्मीर की खूबसूरती को लोगों तक पहुंचाना और कश्मीरी तहज़ीब से लोगों को परिचित कराना.
जब धर्म पूछकर होने लगा कत्ल
हमले के प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो आतंकियों ने बैसरन में अचानक हमला कर दिया और सैलानियों से उनके नाम पूछकर धर्म पहचानने लगे, जिनके नाम मुस्लिम नहीं लगे, उन्हें वहीं गोली मार दी गई. यह दृश्य हृदयविदारक था. लोग इधर-उधर जान बचाने के लिए भागने लगे.
आतंकियों से भिड़े सैयद हुसैन
जब यह दृश्य सैयद हुसैन शाह ने देखा, तो वह खुद को रोक नहीं पाए. उन्होंने आतंकियों से विनती की, 'यह लोग हमारे मेहमान हैं, इनका कोई कसूर नहीं है. कश्मीरियों की पहचान मेहमाननवाज़ी से होती है, नफरत से नहीं.' आतंकियों ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें धक्का दे दिया.
तभी सैयद ने साहस दिखाते हुए एक आतंकी से राइफल छीनने की कोशिश की. यह कदम बेहद जोखिम भरा था, लेकिन सैयद ने जान की परवाह किए बिना ऐसा किया. इस कोशिश में आतंकी ने राइफल से फायर कर दिया और गोलियां सैयद के शरीर को चीरती चली गईं. वह वहीं जमीन पर गिर पड़े.
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अस्पताल में तोड़ा दम
गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद, सैयद हुसैन शाह का साहस चौंका देने वाला था. सुरक्षा बलों और स्थानीय लोगों की मदद से उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. सैयद के दोस्त की मानें तो सैयद चाहता तो अपनी जान बचा सकता था, वहां से भाग सकता है था चुप रह सकता था, लेकि उसने ऐसा नहीं किया और पर्यटक की जान बचाने के लिए आतंकियों से लोहा लिया.
राष्ट्र कर रहा है सैयद को सलाम
सैयद हुसैन शाह आज कश्मीरियत का चेहरा बन गए हैं. उनका साहस यह संदेश दे रहा है कि कश्मीर आतंक नहीं, इंसानियत का संदेश देता है. सैयद जैसे लोग ही हैं, जो इस जन्नत को जहन्नुम बनने से रोक रहे हैं.
उनकी बहादुरी को सम्मान देने की मांग पूरे देश में उठ रही है. कई सामाजिक संगठनों और नेताओं ने उन्हें बहादुरी पुरस्कार देने की अपील की है.