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अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन, महबूबा मुफ्ती का ट्वीट

जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार को निधन हो गया. वह 92 साल के थे. गिलानी ने अपने श्रीनगर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली.

Updated on: 02 Sep 2021, 12:05 AM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का बुधवार को निधन हो गया. वह 92 साल के थे. गिलानी ने अपने श्रीनगर स्थित आवास पर अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि गिलानी पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे और बुधवार को उनकी तबीयत अचानक ज्यादा खराब हो गई थी. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी सुप्रीमो महबूबा मुफ्ती ने गिलानी के निधन पर शोक जताया है. महबूबा ने ट्वीट में लिखा कि गिलानी साहब के निधन की खबर से दुखी हूं. हम ज्यादातर बातों पर सहमत नहीं हो सके, लेकिन मैं उनकी दृढ़ता और उनके विश्वासों के साथ खड़े होने के लिए उनका सम्मान करता हूं. अल्लाह तआला उन्हें जन्नत और उनके परिवार और शुभचिंतकों के प्रति संवेदना प्रदान करें.

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गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 में हुआ

जानकारी के अनुसार सैय्यद अली शाह गिलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 में हुआ था. वह एक पूर्व कश्मीरी अलगाववादी हुर्रियत नेता थे, जो भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हैं. वह पहले जमात-ए-इस्लामी कश्मीर के सदस्य थे, लेकिन बाद में तहरीक-ए-हुर्रियत के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की. गिलानी ने जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी दलों के समूह, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है. वह जम्मू और कश्मीर के सोपोर निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार (1972,1977 और 1987) विधायक रहे. वह कश्मीर में काफी लोकप्रिय थे. गिलानी का ताल्लुक़ बारामूला ज़िले के क़स्बे सोपोर से है.

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जम्मू कश्मीर के सोपोर जनपद के दुरु गांव में जन्मे सैयद अली शाह गिलानी

जम्मू कश्मीर के सोपोर जनपद के दुरु गांव में जन्मे सैयद अली शाह गिलानी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा सोपोर में प्राप्त की. उच्च शिक्षा के लिये यह लाहोर गये जहां इन्होने कुरान और् धर्मशास्त्र सीखा. कश्मीर लौट कर यह अध्यापक बन गये और इसि दौरान यह सोपोर में जमात ए इस्लामी के प्रमुख कार्यकर्ता भी बन गये. गिलानी के निधन से उनके समर्थकों को काफी दुख पहुंचा है. उनके निधन पर कई बड़े नेताओं ने शोक प्रकट किया है.