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file photo( Photo Credit : News Nation)
बीते 10 दिनों में अखनूर, आर एस पुरा और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में ऐसे ड्रोन देखने को मिले हैं. जिनके जरिए टिफिन बम की तस्करी पाकिस्तान से लगी हुई एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर की जा रही है. यह छोटे आकार के आईडी से बने हुए बंम होते हैं, जिन्हें बच्चों के टिफिन बॉक्स में छुपा कर रखा जाता है. आंखों से ओझल होने के लिए भारतीय सीमा में पहुंचते वक्त ड्रोन का एयर एल्टीट्यूड 800 मीटर से लेकर 1000 मीटर के बीच रहता है. Crpf सूत्रों के मुताबिक सीआरपीएफ जो अमरनाथ यात्रा के दौरान मुख्य रूप से सुरक्षा देने का काम कर रही है.
उसके सूत्रों की मानें तो इस बार रेडियो फ्रिकवेंसी आईडेंटिफिकेशन धारा 370 हटाने और खुफिया तंत्र के मजबूत होने की वजह से घाटी में अमरनाथ यात्रा के खिलाफ पोस्टर नहीं लगाए गए हैं और आरएफआईडी तकनीक से श्रद्धालुओं की पहचान के कारण आतंकियों का प्रवेश बेहद मुश्किल है। यही वजह है कि अब लंगर/भंडारे के नाम पर आतंकी इस तरह के टिफिन बम का इस्तेमाल कर सकते हैं। सुरक्षा एजेंसी को अमरनाथ यात्रा मार्ग में ऐसे कुछ टिफिन बम बरामद भी हुए हैं जिन्हें समय रहते डिफ्यूज कर दिया गया।
इंटेलिजेंस इनपुट ना सिर्फ जम्मू कश्मीर बल्कि पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में भी अब आतंकियों को असाल्ट राइफल के स्थान पर इस तरह के टिफिन बम ड्रोन के सहारे पहुंचाने की कोशिश पाकिस्तान के द्वारा की जा रही है। टिफिन बम को आतंकियों का नया हथियार बनाया जा रहा है। इसके पीछे की वजह है कि यह काफी हल्का होता है, जो ड्रोन के जरिए आसानी से पहुंचाया जा सकता है। इसके सर्केट और आईडी के जरिए से बनाना भी आसान होता है। बड़े पैमाने पर टिफिन बम पहुंचा कर भारत में कानून व्यवस्था को खराब करने की कोशिश पाकिस्तान के द्वारा की जा रही है।