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सैफुद्दीन सोज ने कहा-कश्मीर के मुस्लिम समुदाय को भी सुना जाना चाहिए

संवाद ही हर चीज का समाधान है.जब मोदी जी और उनके सहयोगी यह समझें कि उन्हें कश्मीर के लोगों और राजनीतिक दलों से बात करनी होगी. आम जनता में से कोई भी हिंसा या इन मौतों का समर्थन नहीं करता.

Updated on: 10 Oct 2021, 08:46 PM

highlights

  • सैफुद्दीन सोज ने कहा कि यहां का बहुसंख्यक समुदाय (मुसलमान) अंदर तक हिल गया है
  • कश्मीर के लोगों और राजनीतिक दलों से बात करनी होगी
  • कांग्रेस नेता  रजनी पाटिल ने कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मारे गए नागरिकों के परिवारों से मुलाकात की

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए नागरिक हत्याओं पर रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि घाटी का बहुसंख्यक समाज हिल गया है. हर तरफ से उसे निशाना बनाया जा रहा है. लेकिन बहुसंख्यक समाज भी कुछ कहना चाहता है. उसे सुना जाना चाहिए. कश्मीर में आतंकियों द्वारा आम नागरिकों की हत्या के बाद घाटी का माहौल गरमा गया है. सैफुद्दीन सोज ने ट्वीट किया- "यहां का बहुसंख्यक समुदाय (मुसलमान) अंदर तक हिल गया है. वे दुखी हैं, यह सोचा जा रहा है कि उन्हें ( हिंदू नागरिकों) को मुस्लिम समुदाय के किसी युवक ने हथियार उठाकर मार डाला. लेकिन उन्हें भी कुछ कहना है और सुना जाना चाहिए."

उन्होंने कहा कि "संवाद ही हर चीज का समाधान है. हमारे यहां सेना और अर्धसैनिक बल हैं लेकिन यह तभी हो सकता है जब मोदी जी और उनके सहयोगी यह समझें कि उन्हें कश्मीर के लोगों और राजनीतिक दलों से बात करनी होगी. आम जनता में से कोई भी हिंसा या इन मौतों का समर्थन नहीं करता." 

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इससे पहले कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा मारे गए नागरिकों के परिवारों से मुलाकात की और कहा कि केन्द्र 1990 के दशक वाली स्थिति को वापस लौटने से रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई करे. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन केंद्र शासित प्रदेश के निवासियों की रक्षा करने में विफल रहे हैं और लोगों विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों के चेहरे पर भय का भाव है.

रजनी पाटिल ने कहा कि 1990 के दशक में आतंकवादियों द्वारा लक्षित हत्याओं के कारण अल्पसंख्यकों, विशेषकर कश्मीरी पंडितों का घाटी से पलायन हुआ था. पाटिल ने कहा कि सरकार को स्थिति को और बिगड़ने से रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र को कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों और अन्य लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए. आतंकवादियों ने कश्मीर में पिछले पांच दिनों में सात नागरिकों की हत्या कर दी, जिनमें से चार अल्पसंख्यक समुदाय के हैं.