साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता कश्मीरी कवि एवं लेखक डॉ. अज़ीज़ हाजिनी का निधन

डॉ. अज़ीज़ हाजिनी ने विभिन्न विधाओं में अनेक पुस्तकें लिखीं. उनकी पुस्तक ‘आने खाने’ के लिए उन्हें 2015 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिला था.

डॉ. अज़ीज़ हाजिनी ने विभिन्न विधाओं में अनेक पुस्तकें लिखीं. उनकी पुस्तक ‘आने खाने’ के लिए उन्हें 2015 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार मिला था.

author-image
Pradeep Singh
एडिट
New Update
Dr  Aziz Hajini

डॉ. अज़ीज़ हाजिनी,  कश्मीरी लेखक एवं कवि ( Photo Credit : News Nation)

डोगरी और कश्मीरी साहित्य को देश-विदेश में स्थापित करने में जम्मू-कश्मीर के दो लोगों को श्रेय जाता है. डोगरी भाषा को विश्वपटल पर ले जाने में जहां सुप्रसिद्ध कवयित्री पद्मा सचदेव का नाम सामने आता है वहीं बात जब कश्मीरी साहित्य की होती है तो बरबस डॉ. अज़ीज़ हाजिनी का नाम सामने आता है. वे आजीवन कश्मीरी भाषा एवं साहित्य को  विश्व साहित्य में स्थान दिलाने का प्रयास करते रहे. यह दुर्भाग्य है कि डोगरी की पहली आधुनिक कवयित्री पद्मा सचदेव के निधन के कुछ महीने बाद ही कश्मीर के प्रसिद्ध लेखक,अनुवादक एवं कवि डॉ. अज़ीज़ हाजिनी भी हमारे बीच नहीं रहे, उनके निधन से कश्मीरी भाषा एवं साहित्य को अपूर्णनीय क्षति हुई है. 

Advertisment

साहित्य अकादमी की सामान्य परिषद के सदस्य एवं  कश्मीरी लेखक, अनुवादक एवं कवि डॉ. अज़ीज़ हाजिनी का शनिवार को श्रीनगर में निधन हो गया . उनके निधन से भारतीय साहित्य को, विशेष रूप से कश्मीरी भाषा एवं साहित्य को बड़ी हानि हुई है. साहित्य अकादमी के सचिव के. श्रीनिवासराव ने कहा कि  प्रसिद्ध कश्मीरी  विद्वान डॉ अज़ीज़  हाजिनी  ने जीवन पर्यंत कश्मीरी साहित्य को बढ़ावा देने का प्रयास किया. मेरा सौभाग्य है कि मेरा  उनसे  लगभग दो दशकों से  नियमित रूप से संपर्क रहा.  उनकी पुस्तक "आने खाने" कश्मीरी आलोचना में एक मील का पत्थर है और उनकी रचनाएं आने वाली पीढ़ियों के लिए  मार्गदर्शन का कार्य करती रहेंगी. साहित्य अकादेमी उनके निधन पर गहरा दुःख व्यक्त करती है."

डॉ. अज़ीज़ हाजिनी ने विभिन्न विधाओं में अनेक पुस्तकें लिखीं. उनकी पुस्तक ‘आने खाने’ के लिए उन्हें 2015 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था. इसके अतिरिक्त उनकी पुस्तक ‘नूरे नूराँ’, ‘वितस्ता की सैर’, ‘काशुर अक़ीदती अदब’, ‘ज़े गज़ ज़मीन’ (अनुवाद), ‘वारिस शाह’ (अनुवाद), ‘हमकाल काशुर शायरी’, ‘ते पत्ते आए दरयावस ज़बान’, ‘मौलवी सिद्दीक़ उल्लाह हाजिनी’, ‘मीर गुलाम रसूल नाज़की’, ‘मी एंड माइ एनिमल’, ‘प्रतिनिधि कश्मीरी कहानियाँ’, ‘अमीन कामिल’ इत्यादि प्रकाशित हो चुकी हैं. 

उन्हें अनेक पुरस्कार प्राप्त हैं जिसमें साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार, ख़िलअत-ए शैख़ुल आलम, हरमुख एवार्ड, मीर-ए कारवाँ एवार्ड, रंग तरंग एवार्ड, दीना नाथ नादिम मेमोरियल एवार्ड, महजूर मेमोरियल एवार्ड, शरफ़े कामराज एवार्ड, फ़ख़रे हिमालय एवार्ड, आदि सम्मिलित हैं.

डॉ. हाजिनी विभिन्न संस्थाओं से भी जुड़े रहे. उन्होंने 2015 से 2019 तक सचिव, जम्मू एंड कश्मीरी कल्चरल एकेडमी के पद पर कार्य किया. इससे पहले वह उप निदेशक , एकेडमिक, जम्मू एंड कश्मीरी स्टेट बोर्ड ऑफ़ स्कूल एजूकेशन के पद पर कार्यरत थे. 2018 से साहित्य अकादेमी के कश्मीरी भाषा के संयोजक के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे थे. वह अदबी मरकज़ कामराज के तीन बार अध्यक्ष चुने गए और 2020 में संरक्षक बनाए गए. 

अज़ीज़ हाजिनी ने विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगाष्ठियों में भी भाग लिया. उन्होंने विभिन्न देशों की यात्राएँ भी कीं. शैख़ुल आलम स्टडीज़, कश्मीरी विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘आलमदार’एवं ‘नूर’ के संपादक के रूप में भी कार्य किया. लोकप्रिय कश्मीरी पत्रिका ‘वालरेक मल्लार’के भी संपादक रहे.

Source : News Nation Bureau

Dr. Aziz Hajini passes away Sahitya Akademi Award 2015 Kashmiri poet and writer
      
Advertisment