रोहिंग्या शरणार्थियों के वेरिफिकेशन के बीच UNHCR की टीम पहुंची जम्मू
जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों की चल रही वेरिफिकेशन के बीच UNHCR की एक दो सदस्य टीम जम्मू पहुंच गई हैं. सूत्रों के मुताबिक UNHCR की ये टीम रोहिंग्या शरणार्थियों पर पिछले दिनों की गई कार्यवाही के सिलसिले में प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर सकती है.
जम्मू:
जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों की चल रही वेरिफिकेशन के बीच UNHCR की एक दो सदस्य टीम जम्मू पहुंच गई हैं. सूत्रों के मुताबिक UNHCR की ये टीम रोहिंग्या शरणार्थियों पर पिछले दिनों की गई कार्यवाही के सिलसिले में प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर सकती है. UNHCR की टीम इस बात की जानकारी ले सकती हैं कि 155 रोहिंग्या शरणार्थियों को होडिंग सेंटर भेजने के पीछे क्या कारण है. इसके साथ ही टीम रोहिंग्या शरणार्थियों से भी बात कर सकती हैं. वहीं जम्मू में रोहिंग्या शरणार्थियों के वेरिफिकेशन का काम जारी है. फिलहाल उन सभी का वेरिफिकेशन MA स्टेडियम की जगह उनकी झुग्गियों में ही की जा रही है. वहीं पुलिस भी होल्डिंग सेंटर में भेजे गए लोगो को उनके परिवार के जरीए कपड़े और दूसरी चीजों को पहुंचाने का काम कर रही है.
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वहीं बता दें कि जम्मू में हिरासत में लिए गए रोहिंग्या शरणार्थियों को तत्काल रिहा करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. याचिका में केंद्र सरकार को निर्देश देने का आग्रह किया गया है कि वह अनौपचारिक शिविरों में रह रहे रोहिंग्याओं के लिए विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) के मार्फत शरणार्थी पहचान पत्र जारी करे.
रोहिंग्या शरणार्थी मोहम्मद सलीमुल्लाह ने वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर याचिका में जम्मू की उप जेल में बंद रोहिंग्या शरणार्थियों को निर्वासित करने के किसी भी आदेश को लागू करने से रोकने के लिए शीर्ष अदालत से सरकार को निर्देश देने की मांग की.
याचिका में कहा गया है कि शरणार्थियों को सरकारी सर्कुलर को लेकर एक खतरे का सामना करना पड़ रहा है, जो संबंधित अधिकारियों को अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों की पहचान करने और तेजी लाने के निर्देश देता है. याचिका में कहा गया है कि इसे जनहित में दायर किया गया है, ताकि भारत में रह रहे शरणार्थियों को प्रत्यर्पित किए जाने से बचाया जा सके.
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संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 21 के साथ ही अनुच्छेद 51 (सी) के तहत प्राप्त अधिकारों की रक्षा के लिए यह याचिका दायर की गई है. इसमें कहा गया है कि रोहिंग्या के मूल देश म्यांमार में उनके खिलाफ हुई हिंसा और भेदभाव के कारण बचकर भारत में आने के बाद उन्हें यहां से प्रत्यर्पित करने के खिलाफ यह याचिका दायर की गई है.
याचिका में शीर्ष अदालत से गुहार लगाई गई है कि वह यूएनएचसीआर को इस मामले में हस्तक्षेप करने के निर्देश जारी करे और न केवल जम्मू में, बल्कि पूरे देश में शिविरों में रखने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों की सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने की मांग की गई है. इसमें अदालत से शरणार्थी कार्ड मुहैया कराने के लिए भी सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है.
याचिका में कहा गया है कि इस महीने की खबरों के अनुसार, जम्मू में लगभग 150 से 170 रोहिंग्या शरणार्थियों को हिरासत में लिया गया है. शीर्ष अदालत ने पिछले साल जनवरी में म्यांमार में अवैध रोहिंग्या मुस्लिम प्रवासियों को निर्वासित करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ दलीलें सुनने के लिए सहमति व्यक्त की थी.
गौरतलब है कि देश में अवैध निवासियों के संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि पिछले दो वर्षों में 3,000 से अधिक लोगों को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने की कोशिश में गिरफ्तार किया गया. गृह मंत्रालय ने कहा,'पाकिस्तान से 116 नागरिकों, बांग्लादेश से 2,812 और म्यांमार से 325 लोगों को 2018 और 2020 के बीच भारत में घुसपैठ की कोशिश करते हुए पकड़ा गया.'
1 मार्च को तीन रोहिंग्या मुसलमानों को भारत में अवैध रूप से रहने के उद्देश्य से जाली दस्तावेजों का उपयोग करने के लिए उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार किया गया था. इन लोगों ने बांग्लादेश और म्यांमार से भारत आने के लिए अन्य लोगों की मदद भी की थी. यूपी एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने लखनऊ स्थित मिल्रिटी इंटेलिजेंस (एमआई) यूनिट से मिले इनपुट के आधार पर यह गिरफ्तारी की.
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