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कठुआ गैंगरेप: राम माधव ने कहा- मुफ्ती करेंगी बीजेपी मंत्रियों के इस्तीफे पर फैसला

इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तेज़ी दिखाते हुए जनवरी महीने में जांच शुरू की और तीन महीने में चार्जशीट पूरी कर ली।

Updated on: 14 Apr 2018, 04:26 PM

नई दिल्ली:

बीजेपी महासचिव राम माधव ने जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एक 8 वर्षीय बच्ची के साथ गैंगरेप और हत्या मामले में 2 बीजेपी मंत्रियों पर कथित रुप से आरोपी का साथ देने के मामले में सफाई दी है।

बीजेपी मंत्रीयों द्वारा समर्थन देने के आरोप को लेकर राम माधव ने कहा, '1 मार्च को कठुआ में इस घटना के ख़िलाफ़ भीड़ इकट्ठा हुई थी और मामले को शांत करने के लिए हमारे मंत्री भी इसमें शामिल हुए थे। हालांकि बाद में कुछ ग़लतफ़हमी हुई। इन्हें सतर्क रहना चाहिए था। इनका मक़सद जांच को प्रभावित करना नहीं था। इन पर आरोप लगें हैं कि इन्होंने रेपिस्टों का समर्थन किया जो सरासर ग़लत है।'

आगे उन्होंने कहा, 'इस आरोप के बाद मंत्रियों ने फ़ैसला लिया है कि वो कैबिनेट पद से इस्तीफ़ा देंगे। इस बारे में हमने भी उनसे चर्चा की और तय किया कि आज ही मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को उनका इस्तीफ़ा पत्र सौपेंगे। इसके बाद मुफ्ती ही उन पर कोई फैसला लेंगी।'

राम माधव ने कहा कि इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस मामले में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तेज़ी दिखाते हुए जनवरी महीने में जांच शुरू की और तीन महीने में चार्जशीट पूरी कर ली। इस कुकृत्य में शामिल पुलिस समेत कुल 8 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

बता दें कि आठ साल की बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसके बाद उसकी हत्या करने के मामले के आरोपियों के समर्थन में आयोजित एक रैली में शामिल होने वाले बीजेपी के दो मंत्रियों चौधरी लाल सिंह और चंदर प्रकाश गंगा ने शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। 

दोनों मंत्रियों ने अपना इस्तीफ़ा राज्य बीजेपी अध्यक्ष सतपाल शर्मा को सौंपा था।

क्या है मामला

पिछले महीने हिंदू एकता मंच द्वारा आठ साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म करने और उसके बाद उसकी हत्या करने के मामले में आरोपी सात लोगों के समर्थन में कठुआ के हीरानगर इलाके में आयोजित एक रैली में दोनों मंत्रियों ने हिस्सा लिया था।

यद्यपि दोनों मंत्रियों ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया, लेकिन दोनों के खिलाफ जनता में काफी आक्रोश था।

गंगा के पास उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी थी, और लाल सिंह के पास वन विभाग था।

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