Jammu-Kashmir: फिर पीडीपी अध्यक्ष चुनी गईं महबूबा मुफ्ती
पीडीपी अध्यक्ष (PDP Chief) और जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) को तीन साल के कार्यकाल के लिए सोमवार को सर्वसम्मति से पीडीपी प्रमुख के तौर पर फिर से चुना गया.
नई दिल्ली:
पीडीपी अध्यक्ष (PDP Chief) और जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir) की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) को तीन साल के कार्यकाल के लिए सोमवार को सर्वसम्मति से पीडीपी प्रमुख के तौर पर फिर से चुना गया. पीडीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनके नाम का प्रस्ताव वरिष्ठ नेता जीएनएल हंजुरा ने किया और खुर्शीद आलम की ओर से भी इस पर सहमति जताई गई. पीडीपी के वरिष्ठ नेता ए.आर. वीरी पार्टी के चुनाव बोर्ड के अध्यक्ष हैं. प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू में पार्टी के निर्वाचक मंडल ने सर्वसम्मति से मुफ्ती को पीडीपी का अध्यक्ष चुना. मुफ्ती 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद से पीएसए के तहत हिरासत में लिए गए मुख्यधारा के नेताओं में शामिल रही हैं.
उनका फिर से चुनाव ऐसे समय पर हुआ है, जब उनकी पार्टी पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) में शामिल हुई है, जो कि संवैधानिक परिवर्तनों के उलटफेर के खिलाफ एक गठबंधन है, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) जैसी मुख्यधारा की पार्टी भी शामिल है. पीएजीडी ने हाल ही में संपन्न जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनावों में सबसे अधिक सीटें हासिल की हैं.
मुझे हाउस अरेस्ट के तहत रखा गया है : महबूबा मुफ्ती
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पिछले दिनों कहा था कि उन्हें दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में श्रीनगर के गुपकर मार्ग पर उनके निवास से बाहर जाने से रोका गया. वह दरअसल सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 30 दिसंबर 2020 को मारे गए अतहर मुश्ताक के परिवार से मिलने के लिए दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जा रही थीं. मुफ्ती द्वारा ट्वीट किए गए एक वीडियो में, वह अपने आवास के गेट पर एक सुरक्षा अधिकारी से बहस करती हुई दिखाई देती हैं और उसे बाहर जाने से रोकने के लिए कारण पूछती हैं. मुफ्ती ने कहा, कथित तौर पर फर्जी मुठभेड़ में मारे गए अतहर मुश्ताक के परिवार से मिलने की कोशिश के तहत घर में नजरबंद किया गया है. उनके पिता के खिलाफ बेटे के शव की मांग करने के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा, कश्मीर में दमन और आतंक का यह शासन अबाधित और तथ्यहीन सत्य है, जिसे भारत बांकी देशों से छुपाना चाहता है. एक 16 साल के व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है और उसके बाद उसके परिवार को उसके अंतिम संस्कार के अधिकार और मौके से वंचित कर दिया जाता है. श्रीनगर में पुलवामा एजाज गनाई, शोपियां के जुबैर लोन और पुलवामा के अतहर मुश्ताक लवेपोरा में मुठभेड़ में मारे गए थे. सेना ने कहा कि उन्हें बार-बार आत्मसमर्पण करने का मौका दिया गया, जो उन्होंने नहीं किया और इसके बदले उन्होंने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी की और हथगोले फेंके. मारे गए लोगों के परिवार का दावा है कि उनके बेटे आतंकवादी नहीं थे. वे मृतक के शव को वापस करने की मांग कर रहे हैं.
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