पाकिस्तान नहीं आ रहा बाज, कश्मीर में बड़े आतंकी हमले की तैयारी
पाकिस्तान नहीं आ रहा बाज, कश्मीर में बड़े आतंकी हमले की तैयारी
नई दिल्ली:
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के हालिया श्रीनगर दौरे का असल मकसद वह सूचना थी जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन राज्य में एक बड़े आतंकी हमले की फिराक में हैं. सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि राज्य में अर्धसैनिक बलों की अतिरिक्त 100 कंपनियों की तैनाती की असल वजह भी यही है.
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Top govt sources: NSA Ajit Doval had held a meeting of counter-terrorism grid in Jammu and Kashmir in view of this major terrorist attack threat in the Kashmir valley.
— ANI (@ANI) July 28, 2019
The decision to deploy the troops is to further strengthen the counter terrorist grid in the state. https://t.co/3aIwuruuUX
सूत्रों के मुताबिक एनएसए अजीत डोभाल ने कश्मीर घाटी में इस बड़े आतंकवादी हमले के खतरे के मद्देनजर जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद विरोधी ग्रिड की बैठक की थी. इस खतरे से निपटने के लिए ही घाटी में 100 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को तैनात करने का फैसला लिया गया था. इसके मुताबिक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की 50 अतिरिक्त कंपनियां जम्मू और कश्मीर में तैनात की जाएंगी. साथ ही दिल्ली से सीआरपीएफ की 9 अतिरिक्त कंपनियां कश्मीर घाटी में भेजी जाएंगी. जम्मू-कश्मीर में CRPF के अलावा सीमा सुरक्षा बल (BSF), सशस्त्र सीमा बल (SSB) और इंडो तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) की कंपनियां भी तैनात की जाएंगी. राज्य में पहले से ही 40 हजार सुरक्षाबल तैनात हैं.
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अर्धसैनिक बलों की तैनाती पर महबूबा मुफ्ती ने जताई थी आपत्ति
बता दें, इससे पहले जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों की अतिरिक्त तैनाती को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था. शनिवार को ट्वीट कर महबूबा मुफ्ती ने कहा था कि, 'केंद्र सरकार की ओर से कश्मीर घाटी में की गई 10 हजार जवानों की अतिरिक्त तैनाती से लोग भयभीत हो रहे हैं.' मुफ्ती ने कहा था, 'कश्मीर घाटी में सुरक्षाबलों की कोई कमी नहीं है. जम्मू-कश्मीर राजनीतिक समस्या है, सेना इसका हल नहीं है. केंद्र सरकार को इस मामले में दोबारा विचार करने और अपनी नीतियों में बदलाव करने की जरूरत है.'
Centre’s decision to deploy additional 10,000 troops to the valley has created fear psychosis amongst people. There is no dearth of security forces in Kashmir. J&K is a political problem which won’t be solved by military means. GOI needs to rethink & overhaul its policy.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 27, 2019
इसके अलावा पूर्व आईएएस अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के अध्यक्ष शाह फैसल ने कई सवाल उठाए थे. शाह फैसल ने कहा कि इस बात की अफवाह तेज है कि कश्मीर की घाटी में कुछ बड़ा घटित होने वाला है. शाह फैसल ने ट्वीट कर कहा था, 'घाटी में अचानक सुरक्षाबलों की 100 अतिरिक्त कंपनियों की तैनाती क्यों हो रही है, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है. इस बात की अफवाह है कि घाटी में कुछ बड़ा भयानक होने वाला है. क्या यह अनुच्छेद 35ए को लेकर है?'
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