आतंकवाद के खात्मे पर शाह की दो टूक- अंतिम प्रहार की तैयारी करें सुरक्षाबल
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बिना पाकिस्तान से बात किए घाटी में अमन-चैन नहीं स्थापित हो सकता . उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता में आने के बाद वह फिर से धारा-370 लायेंगे.
highlights
- शाह ने राज्य के नेताओं से 70 सालों का हिसाब भी मांगा
- राज्य के तीन राजनीतिक परिवार कश्मीर को अपनी जागीर समझते हैं
- फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बिना पाकिस्तान से बात किए घाटी में अमन-चैन नहीं स्थापित हो सकता
नई दिल्ली:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर है. वह शनिवार को दिल्ली से जम्मू पहुंचे थे. आज यानि रविवार दौरे का दूसरा दिन है. शाह के दौरे के दूसरे दिन ही घाटी का राजनीतिक तापमान बढ़ गया. भाजपा लंबे समय से जम्मू-कश्मीर को चंद राजनीतिक परिवारों की जागीर बताती रही है. भाजपा के नेताओं का आरोप रहा है कि राज्य के तीन राजनीतिक परिवार कश्मीर को अपनी जागीर समझते हैं. जम्मू-कश्मीर की समस्या की वे जड़ हैं. भाजपा के इस आरोप पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने अपने बेतुके बयानों से मुहर लगा दी है. गृहमंत्री के राज्य में उपस्थिति मात्र से ही फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान से बात करने की वकालत करके अपनी असलियत को उजागर कर दिया है. अब्दुल्ला ने यह बता दिया कि उनकी वफादारी किसके साथ है.
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि बिना पाकिस्तान से बात किए घाटी में अमन-चैन नहीं स्थापित हो सकता . उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता में आने के बाद वह फिर से धारा-370 लायेंगे. लेकिन उनका यह बयान जनता को भ्रम में रखने और उनके जज्बातों को भड़काने का एक प्रयास मात्र भर है.
यह भी पढ़ें: Jammu Kashmir: पुंछ में आतंकी फायरिंग, गिरफ्तार आतंकी की मौत
गृहमंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर में पुलिस-प्रशासन के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक की तो मंदिर और गुरुद्वारा भी गये. बड़े नौकरशाहों से मिले तो आम नगारिकों से भी मिलकर उनका दुख-दर्द जाना. गृहमंत्री ने सीमा पर जाकर सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियों और जवानों से भी बात कर उनका हौसला बढ़ाया. शाह ने कहा कि आतंकवाद के खात्मे पर अंतिम प्रहार की तैयारी करें सुरक्षाबल.
गृहमंत्री शाह ने इस दौरान जम्मू और कश्मीर के विकास कार्यों की समीक्षा की और नई योजनाओं की घोषणा भी की. जम्मू में एक रैली को संबोधित करने के दौरान शाह ने राज्य के नेताओं से 70 सालों का हिसाब भी मांगा. और मोदी सरकार द्वारा राज्य में कराये जा रहे विकास कार्यों और पंचायत चुनाव को संपन्न कराकर सत्ता को आम जनता तक पहुंचाने का श्रेय भी लिया. लेकिन जम्मू-कश्मीर के राजनेताओं को अभी तक पंचायत चुनाव जरूरी नहीं लग रहा था.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर के चंद राजनीतिक परिवारों ने सिर्फ अपना हित देखा. राज्य के लोग उनके एजेंडे में नहीं थे. अब राज्य में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा. धारा-370 के निष्प्रभावी होने के बाद जम्मू-कश्मीर का सत्ता समीकरण बदल गया है. अब जम्मू,कश्मीर और लद्दाख तीन अलग-अलग राज्य हैं. जिसमें दो केंद्र शासित प्रदेश हैं.
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