J&K: कश्मीरी पंडितों को बसाने का काम जारी, इन इलाकों में होगा पुनर्वास
विस्थापित कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने का काम जोरों पर चल रहा है. अधिकारियों के दावे के मुताबिक उनके रहने के लिए कॉलोनियां निमार्णाधीन हैं. शोपियां जिले के अलापुरा क्षेत्र में 23 करोड़ रुपये की लागत से ट्रांजिट आवासों का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है. इस ट्रांजिट कैंप में कुल 192 कश्मीरी पंडित परिवारों को ठहराया जाएगा. अधिकारियों के मुताबिक, अब तक 32 फ्लैटों का काम पूरा हो चुका है जबकि बाकी फ्लैटों का काम अंतिम चरण में है. अलापुरा किगाम शोपियां में पंडित कर्मचारियों के लिए ट्रांजिट आवास का निर्माण 2020 में शुरू किया गया था. लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का दावा था कि सभी फ्लैट अगले साल बनकर तैयार हो जाएंगे.
श्रीनगर:
विस्थापित कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने का काम जोरों पर चल रहा है. अधिकारियों के दावे के मुताबिक उनके रहने के लिए कॉलोनियां निमार्णाधीन हैं. शोपियां जिले के अलापुरा क्षेत्र में 23 करोड़ रुपये की लागत से ट्रांजिट आवासों का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है. इस ट्रांजिट कैंप में कुल 192 कश्मीरी पंडित परिवारों को ठहराया जाएगा. अधिकारियों के मुताबिक, अब तक 32 फ्लैटों का काम पूरा हो चुका है जबकि बाकी फ्लैटों का काम अंतिम चरण में है. अलापुरा किगाम शोपियां में पंडित कर्मचारियों के लिए ट्रांजिट आवास का निर्माण 2020 में शुरू किया गया था. लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों का दावा था कि सभी फ्लैट अगले साल बनकर तैयार हो जाएंगे.
गौरतलब है कि नवंबर 2020 में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल प्रशासन ने कश्मीरी प्रवासी पंडित कर्मचारियों के लिए घाटी के छह जिलों में 1,680 ट्रांजिट आवासीय घरों के निर्माण की घोषणा की थी. आपदा प्रबंधन, राहत और पुनर्निर्माण विभाग के आदेश के अनुसार, लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की अध्यक्षता वाली प्रशासनिक परिषद ने घाटी में मरहामा अनंतनाग लार, गांदरबल मुथपुरा, बारामूला, उदान बांदीपोरा, कोलिंगम कुपवाड़ा और अलापुरा किगम शोपियां में 1,680 आवासों का निर्माण किया है.
इसी साल मई में बडगाम जिले के चादूरा इलाके में पीएम पैकेज के तहत काम कर रहे एक कश्मीरी पंडित राहुल भट की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. बाद में, कश्मीर में रहने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों ने ड्यूटी ज्वाइन करने से इनकार कर दिया और मांग की कि कश्मीरी पंडितों के कर्मचारियों को कश्मीर के बाहर तैनात किया जाए. प्रशासन ने कश्मीरी पंडितों की मांगों को मानने से इनकार कर दिया और ट्रांजिट आवास पर चल रहे काम को और तेज कर दिया है.
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