J&K: पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों को आखिरकार मिली आवाज

जम्मू में बसे हजारों पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. गौरतलब है कि जम्मू में करीब डेढ़ लाख पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी रह रहे हैं. वे आजादी के बाद पाकिस्तान से यहां चले आए थे. भारत का नागरिक होने के नाते वे अब तक संसदीय चुनाव लड़ सकते थे और मतदान कर सकते थे, लेकिन जम्मू- कश्मीर में पैदा न होने के कारण राज्य के चुनावों में न तो खड़े हो सकते थे न ही मतदान कर सकते थे. उन्हें राज्य सरकार की नौकरियों से भी वंचित रखा गया था.

जम्मू में बसे हजारों पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. गौरतलब है कि जम्मू में करीब डेढ़ लाख पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी रह रहे हैं. वे आजादी के बाद पाकिस्तान से यहां चले आए थे. भारत का नागरिक होने के नाते वे अब तक संसदीय चुनाव लड़ सकते थे और मतदान कर सकते थे, लेकिन जम्मू- कश्मीर में पैदा न होने के कारण राज्य के चुनावों में न तो खड़े हो सकते थे न ही मतदान कर सकते थे. उन्हें राज्य सरकार की नौकरियों से भी वंचित रखा गया था.

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : Twitter )

जम्मू में बसे हजारों पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी पहली बार जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं. गौरतलब है कि जम्मू में करीब डेढ़ लाख पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी रह रहे हैं. वे आजादी के बाद पाकिस्तान से यहां चले आए थे. भारत का नागरिक होने के नाते वे अब तक संसदीय चुनाव लड़ सकते थे और मतदान कर सकते थे, लेकिन जम्मू- कश्मीर में पैदा न होने के कारण राज्य के चुनावों में न तो खड़े हो सकते थे न ही मतदान कर सकते थे. उन्हें राज्य सरकार की नौकरियों से भी वंचित रखा गया था.

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लेकिन 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से अब विधानसभा चुनाव में उनके मतदान का रास्ता साफ हो गया है. भाजपा ने शरणार्थियों को अधिकार देने का वादा किया था, जिसमें मतदान का अधिकार, संपत्ति का अधिकार और उच्च शिक्षा और राज्य सरकार की नौकरियों में भर्ती शामिल थी. जम्मू के बारी ब्राह्मणा में रहने वाले एक पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी कुमकारसिन सैनी कहते हैं कि जम्मू और कश्मीर में एक पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थी होने का मतलब असमान अवसरों का जीवन था.

सैनी ने कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए के निरस्त होने से उनके जैसे शरणार्थियों को लाभ होगा. उनके बेटे ने 6000 रुपये मासिक वेतन के लिए सरकारी नौकरी हासिल करने में विफल रहने के बाद एक निजी कंपनी में काम करना शुरू कर दिया.

1947 में पाकिस्तान से भारत आने के बाद परिवार को एक घर आवंटित किया गया था. लेकिन वे जम्मू में वे कोई संपत्ति नहीं खरीद सकते थे. पंद्रह साल पहले उनके ससुर ने उन्हें एक भूखंड दिया था, लेकिन जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे के प्रतिबंधों के कारण वह उसे अपने नाम पर स्थानांतरित नहीं करवा सके. सैनी ने कहा, अब भेदभाव खत्म हो गया है. मेरे बेटे को अब सरकारी नौकरी मिल सकती है.

पश्चिम पाकिस्तानी शरणार्थी नेता लाबा राम गांधी ने आईएएनएस को बताया कि पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों की मुख्य मांग अनुच्छेद 370 को निरस्त करना था. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने शरणार्थियों से किए गए वादों को पूरा किया. उन्होंने कहा कि सरकार की कई घोषणाएं पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों के हक में हैं, लेकिन उनके कार्यान्वयन की प्रक्रिया धीमी है.

गांधी ने कहा, केवल भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ही धारा 370 को निरस्त कर सकती थी. अतीत में अन्य सरकारों ने ऐसा करने का कोई प्रयास नहीं किया. हम इसके लिए भाजपा के बहुत आभारी हैं. गांधी ने कहा कि पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों के रहने वाले स्थानों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी है, क्योंकि स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उनकी समस्याओं की ओर कभी ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा, चूंकि नेता जानते थे कि हमारे पास मतदान के अधिकार नहीं हैं, इसलिए उन्होंने परवाह नहीं की, लेकिन अब यह बदलने जा रहा है.

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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