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J&K: हाइब्रिड आतंकवाद सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती

पूरे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और उनके कमांडरों को खत्म करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेजी से चलाए जा रहे है. इस कड़ी में आतंकवादियों का समर्थन करने वाले पारिस्थितिकी तंत्र को समाप्त करने के लिए एक ठोस प्रयास भी किए जा रहे हैं. सुरक्षा बलों ने कई सफल आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं. कश्मीर में देशी-विदेशी आतंकियों की संख्या दो अंकों में है और आतंकवाद का गढ़ बने दक्षिण कश्मीर में सक्रिय आतंकी रिकॉर्ड निचले स्तर पर हैं. जम्मू-कश्मीर में 300 से अधिक आतंकवादी सक्रिय हैं जिनमें 82 विदेशी आतंकवादी और 53 स्थानीय आतंकवादी शामिल हैं.

Updated on: 27 Nov 2022, 12:04 PM

श्रीनगर:

पूरे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और उनके कमांडरों को खत्म करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेजी से चलाए जा रहे है. इस कड़ी में आतंकवादियों का समर्थन करने वाले पारिस्थितिकी तंत्र को समाप्त करने के लिए एक ठोस प्रयास भी किए जा रहे हैं. सुरक्षा बलों ने कई सफल आतंकवाद विरोधी अभियान चलाए हैं. कश्मीर में देशी-विदेशी आतंकियों की संख्या दो अंकों में है और आतंकवाद का गढ़ बने दक्षिण कश्मीर में सक्रिय आतंकी रिकॉर्ड निचले स्तर पर हैं. जम्मू-कश्मीर में 300 से अधिक आतंकवादी सक्रिय हैं जिनमें 82 विदेशी आतंकवादी और 53 स्थानीय आतंकवादी शामिल हैं.

कश्मीर में हाईब्रिड आतंकवाद सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है. हाइब्रिड आतंकवादी वगीर्कृत आतंकवादी नहीं हैं, कट्टरपंथी युवा हैं जो आतंकवाद के कार्य को अंजाम देने के बाद सामान्य जीवन और सामान्य गतिविधियों में लौट आते हैं. हाइब्रिड आतंकवादियों ने कश्मीर में सुरक्षा बलों और गैर स्थानीय कार्यकर्ताओं पर कई आतंकवादी हमले किए हैं.

23 नवंबर को शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों के साथ सुरक्षा समीक्षा के दौरान, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने अधिकारियों को अपनी कार्य योजनाओं की समीक्षा करने और आतंकवादियों को बेअसर करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि हाइब्रिड आतंकवादियों को खत्म करने की जरूरत है और बताया कि हाइब्रिड आतंकवादियों के 100 से अधिक मॉड्यूल को नष्ट कर दिया गया है.

लेकिन जहां सुरक्षा बल आतंकवादियों पर दबाव बनाए हुए हैं, वहीं कट्टरता को रोकने और युवाओं को आतंकवाद की ओर जाने से रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं. 22 नवंबर को मीडिया से बातचीत में जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया कि आतंकी रंगरूटों में 35 फीसदी की उम्र 20 साल से कम है जबकि 55 फीसदी की उम्र 20 से 30 साल के बीच है.

उन्होंने कहा कि युवाओं की शिक्षा और उनके पालन-पोषण पर ध्यान दिया जाना चाहिए और उन्हें अच्छे स्कूलों और देश के अन्य हिस्सों में जाकर यह देखने का मौका दिया जाना चाहिए कि वहां क्या हो रहा है. उन्होंने कहा, इसे ध्यान में रखते हुए हमने जम्मू-कश्मीर से 1,800 छात्रों को शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में भेजा है. लेकिन भले ही सर्दियां शुरू हो चुकी हैं और बर्फ ने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के रास्ते बंद कर दिए हैं, इनपुट्स के मुताबिक, नियंत्रण रेखा के पार लॉन्च पैड्स पर अभी भी 160 आतंकवादी भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

स्पष्ट रूप से घुसपैठ रोकना और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से निपटना सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.