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J&K के DGP ने शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को 2.40 करोड़ रुपये मंजूर किए

जम्मू एवं कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने मृत/शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों के लिए विशेष कल्याण राहत के रूप में 2.40 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

Updated on: 29 May 2021, 11:42 PM

नई दिल्ली:

जम्मू एवं कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह ने मृत/शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों के लिए विशेष कल्याण राहत के रूप में 2.40 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी. पुलिस ने कहा कि सेवा के दौरान शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिवारों को सहायता प्रदान करने के अपने प्रयास को जारी रखते हुए, पुलिस महानिदेशक, दिलबाग सिंह ने मृतक/शहीद पुलिसकर्मी के परिजनों के लिए विशेष कल्याण राहत के रूप में 2.40 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. पुलिस ने एक बयान में कहा, निम्नलिखित मृतक/शहीद पुलिसकर्मियों के आश्रितों/कानूनी वारिसों - जमील अहमद लोन, रसूल, मोहम्मद शफी, एच.सी. एजाज अहमद, इंद्रजीत सिंह, दविंदर कुमार, मोहम्मद यूसुफ बजद, सुहैल मुश्ताक लोहार, रमीज राजा, अमजद हुसैन, सुदर्शन देव और अशोक कुमार के पक्ष में 20-20 लाख रुपये की विशेष कल्याण राहत मंजूर की गई है.

साथ ही मृतक अधिकारियों का अंतिम संस्कार करने के लिए परिवारों को तत्काल राहत के रूप में एक-एक लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है. आर्थिक सहायता अंशदायी पुलिस कल्याण कोष से दी गई है. इसके पहले जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक (DGP) दिलबाग सिंह ने बृहस्पतिवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से फैली महामारी ने घाटी में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को प्रभावित किया है. सुरक्षा बलों का घाटी में आतंकवाद खात्में पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित है. उन्होंने आगे कहा कि आने वाले समय में आतंकवादियों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर की पुलिस अपना अभियान और तेज करेगी.

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक ने गुरुवार को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षा उपायों की समीक्षा के लिए कई क्षेत्रों का दौरा किया. इसके बाद उन्होंने कहा कि समीक्षा बैठकों के दौरान, दक्षिण कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया. वहीं, सुरक्षा बल भी हर तरह की परिस्थितियों के लिए तैयार है.

उन्होंने कहा कि ऐसे में तो आतंकवाद विरोधी अभियान प्रभावित हो रहे हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम उस क्षेत्र को छोड़ रहे हैं और दूसरे पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. सिंह ने कहा कि कश्मीर घाटी में स्थानीय आतंकवादियों की भर्ती कम हो गई है और पुलिस चाहती है कि हथियार उठाने वाले युवा मुख्यधारा में लौट आएं.