आखिर जम्मू-कश्मीर का ताज़ा घटनाक्रम नरेंद्र मोदी के 2019 के सपनों के सामने बनेगा चुनौती, पढ़ें क्‍यों

इन सब घटनाक्रम के बीच एक संभावना निकलकर आ गई, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी (BJP) को परेशान कर सकती है.

इन सब घटनाक्रम के बीच एक संभावना निकलकर आ गई, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी (BJP) को परेशान कर सकती है.

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Sunil Mishra
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आखिर जम्मू-कश्मीर का ताज़ा घटनाक्रम नरेंद्र मोदी के 2019 के सपनों के सामने बनेगा चुनौती, पढ़ें क्‍यों

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फाइल फोटो

जम्‍मू कश्‍मीर में महबूबा मुफ्ती की पीपुल्‍स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), उमर अब्‍दुल्‍ला की नेशनल कांफ्रेंस (NC) और राहुल गांधी की कांग्रेस एक होते-होते रह गई. सरकार बनाने का मौका हाथ से निकल गया और राज्‍यपाल ने विधानसभा भंग कर दी. लेकिन इन सब घटनाक्रम के बीच एक संभावना निकलकर आ गई, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी (BJP) को परेशान कर सकती है. पहले बिहार, फिर उत्‍तर प्रदेश और अब जम्‍मू कश्‍मीर में ऐसी संभावना से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 के लोकसभा चुनाव  में जीत के सपने को झटका लग सकता है.

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पीडीपी (PDP), नेशनल कांफ्रेंस (NC) और कांग्रेस (Congress) को सरकार न बना पाने का मलाल रहेगा, लेकिन इस मलाल के पीछे तीनों दलों के बीच गठबंधन की संभावनाओं को बल मिल गया है. अगर ऐसा होता है तो यह राहुल गांधी के लिए सबसे अच्‍छी खबर होगी, जो पूरे देश में 2019 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन बनाने की कवायद में जुटे हैं. जानकार मान रहे हैं कि पीडीपी (PDP), नेशनल कांफ्रेंस (NC) और कांग्रेस यदि सरकार बनाने के लिए एक हो सकते हैं तो 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भी हाथ मिला सकते हैं. जानकार इन तीनों दलों के बीच बातचीत होने को ही बड़ी बात मान रहे हैं.

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हालांकि कांग्रेस पूर्व में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी के साथ मिलकर अलग-अलग समय में सरकार बना चुकी है पर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस कभी एक साथ नहीं आए थे. ये दोनों दल खुद को अलग-अलग ध्रुव मान रहे थे. अब अगर ये दोनों दल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ते हैं तो यह बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी.

खासकर घाटी में इसका काफी असर होगा, जहां बीजेपी की हालत मजबूत नहीं है और भंग एसेंबली (ASSEMBLY) में वहां से बीजेपी का एक भी विधायक नहीं था. न केवल घाटी, बल्‍कि जम्‍मू और लद्दाख संभाग में भी बीजेपी को संभावित गठबंधन से कड़ी चुनौती मिलेगी और विधायकों की वर्तमान संख्‍या को बनाए रखना उसके लिए चुनौती साबित होगी. दूसरी ओर, अगर ये तीनों दल मिलकर साथ चुनाव लड़ते हैं तो घाटी में क्‍लीन स्‍वीप (Clean Sweep) करने से कोई नहीं रोक पाएगा और जम्‍मू के अलावा लद्दाख संभाग में भी बीजेपी को ये तीनों दल मिलकर कड़ी टक्‍कर दे पाएंगे.

बिहार में महागठबंधन से मात खा चुकी है BJP
महागठबंधन का प्रयोग पिछले बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2015) में बीजेपी (BJP) के लिए घातक साबित हुआ था. इस चुनाव में NDA (राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) छोड़कर अलग हुए नीतीश कुमार के साथ लालू प्रसाद यादव की पार्टी ने हाथ मिला लिया था. कांग्रेस भी महागठबंधन में शामिल थी. चुनाव में न केवल बीजेपी (BJP) का सत्‍ता में आने का सपना चकनाचूर हो गया, वहीं महागठबंधन ने बीजेपी को बड़े अंतर से धूल चटा दी थी. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से ही विरोधी दल पूरे देश में महागठबंधन की पैरवी करते रहे हैं.

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उत्‍तर प्रदेश : उपचुनावों में SP-BSP ने मिलकर मारी थी बाजी
उत्‍तर प्रदेश में पहले लोकसभा और बाद में विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बुरी तरह मात खाने के बाद समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) एक साथ चुनाव लड़ने को मजबूर हो गईं. लोकसभा की कुछ सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए SP और BSP ने हाथ मिलाया तो बीजेपी को बुरी तरह मात मिली. लोकसभा की अपनी कई सीटों को बीजेपी विपक्ष के हाथों गंवा बैठी. यहां तक कि गोरखपुर, फूलपुर में उसे बुरी तरह हार मिली. बता दें कि गोरखुपर लोकसभा सीट मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की परंपरागत सीट रही है और फूलपुर उपमुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इस्‍तीफा देने के बाद खाली हुई थी.

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Source : News Nation Bureau

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