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सरकार का बड़ा फैसला, शहीदों के नाम पर रखे जाएंगे 75 स्कूल और 75 सड़कों के नाम

भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए, जम्मू और कश्मीर सरकार ने 75 स्कूलों और 75 सड़कों का नाम पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के गुमनाम नायकों और शहीदों के नाम पर रखने का फैसला किया है.

Updated on: 07 Aug 2021, 08:01 AM

highlights

  • जम्मू-कश्मीर में शहीदों के नाम पर स्कूलों का नामकरण किया जाएगा
  • नायकों के नाम पर रखे जाएंगे 75 सड़कों और 75 स्कूलों के नाम
  • स्कूलों को अंतिम रूप देने के लिए पत्र भी जारी कर दिया गया है

नई दिल्ली:

भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए, जम्मू और कश्मीर सरकार ने 75 स्कूलों और 75 सड़कों का नाम पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के गुमनाम नायकों और शहीदों के नाम पर रखने का फैसला किया है. पत्र में आगे सुझाव दिया गया है कि विवरण तैयार करने के लिए जिला स्तर पर एक समिति का गठन किया जा सकता है. आदेश के अनुसार, सूची 05 अगस्त या उससे पहले उपायुक्त कार्यालय को अग्रेषित की जानी थी. रिपोर्टों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव (सीएस) डॉ अरुण कुमार मेहता ने घोषणा की कि सरकार 75 स्कूलों और सड़कों का नाम बदलने की प्रक्रिया में है.

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भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में चल रहे आजादी का अमृत महोत्सव की समीक्षा के लिए कैबिनेट सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय बैठक में यह खुलासा हुआ.जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा नियोजित पहलों पर बैठक को अवगत कराते हुए, मेहता ने कहा कि सम्मान के रूप में, 75 सड़कों और 75 स्कूलों का नाम बदलकर जम्मू-कश्मीर में स्थानीय अनसंग नायकों के नाम पर रखा जाएगा. इस पहल के हिस्से के रूप में, केंद्र शासित प्रदेश ने कश्मीरी और डोगरी भाषाओं में एक क्षेत्रीय 'राज्य गीत' भी प्रस्तुत किया है जो जम्मू-कश्मीर के योगदान और आकांक्षाओं को दर्शाता है.

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जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद बदली तस्वीर 
बता दें कि 5 अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने वाले अनुच्छेद 370 को मोदी सरकार ने रद्द कर दिया था. साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश में बांट दिया गया था. जिसके बाद से लगातार जम्मू-कश्मीर में केंद्र की मोदी सरकार विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. कुछ दिन पहले ही यहां की जमीन कानून को लेकर भी बदलाव किया गया था. जिसके तहत अब कोई भी दूसरे प्रदेश का नागरिक जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकता है, जबकि पहले ऐसा नहीं था.