जम्मू: सेना के लिए DRDO बनाएगा हथियार, बर्फबारी में देगा एवालॉन्च वार्निंग
देश की सुरक्षा और संप्रभुता बनाए रखने के लिए डीआरडीओ पिछले लंबे समय से लगातार सेना अर्ध सैनिक बल और पुलिस के लिए अलग-अलग तरह के हथियार और उपकरण बनाने का काम कर रहा है.
नई दिल्ली:
जम्मू कश्मीर में फरवरी के महीने से लगातार बर्फबारी हो रही है और एक बार फिर मार्च में भी बर्फबारी का सिलसिला शुरू हो गया है. ऐसे में ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में एवालॉन्च का खतरा बना रहता है. इस एवालॉन्च के खतरे से निपटने के लिए डीआरडीओ का डिफेंस जिओ इनफॉर्मेटिक सेंटर लगातार सेना के लिए एवालॉन्च की जानकारी जुटाना और इंजीनियरिंग सॉल्यूशन देने का काम कर रहा है. इस समय जम्मू कश्मीर मैं लगातार हो रही बर्फबारी के बीच डीआरडीओ सेना के अलग-अलग सेक्टर में जहां पर एवा लॉन्च का खतरा सबसे ज्यादा होता है वहां की जानकारियां पहुंचाने का काम कर रहा है.
अलग-अलग सेक्टर में अपने इक्विपमेंट लगाए
इसके लिए डीआरडीओ ने जम्मू कश्मीर के अलग-अलग सेक्टर में अपने इक्विपमेंट लगाए हुए हैं. जहां से डाटा कलेक्शन करके सेना और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन को मुहिया करवाया जाता है. ताकि किसी भी तरह के एवा लॉन्च से बचा जा सकेइसके साथ ही साथ डीआरडीओ लगातार सेना को अलग-अलग पोस्ट में इंजीनियरिंग सॉल्यूशंस भी दे रहा है जिससे अगर एवा लॉन्च उनकी पोस्ट पर आता भी है तो उससे पोस्ट को बचाया जा सके. जम्मू में प्रदर्शनी में डीआरडीओ ने एक मॉडल बनाकर अपने द्वारा एवा लॉन्च के एरिया में किया जा रहे काम को दर्शाया है.
अर्धसैनिक बलों के लिए एक मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड भी तैयार
डीआरडीओ ने कुछ ही टाइम पहले सेना और अर्धसैनिक बलों के लिए एक मल्टी मोड हैंड ग्रेनेड भी तैयार किया है जिसका अब सेना इस्तेमाल करना शुरू हो गई है. डीआरडीओ अब तक 12 लाख से ज्यादा मल्टी हैंड ग्रेनेड सेना और अर्ध सैनिक बलों को मुहिया भी करवा चुका है. अगर ग इस ग्रेनेड की बात करें बात करें तो इसे दो मूड में तैयार किया गया है डिफेंसिव मोड और ऑफेंसिव मूड. डिफेंसिव मोड में हैंड ग्रेनेड में फ्रेगमेंट्स का इस्तेमाल नहीं होता है. इसका इस्तेमाल दुश्मन के खिलाफ तब किया जाता है जब को खुद को भी बचाना होता है.
5 मीटर के दायरे में बड़ा नुकसान किया जा सकता है
वहीं दूसरी तरफ ऑफेंसिव मूड का इस्तेमाल दुश्मन को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है. इस ग्रेनेड को सेना की जरूरत के हिसाब से तैयार किया गया है . इस ग्रेनेड में 3 से 4 सेकंड्स का डिले रखा गया है. ऑफेंसिव मोड़ के ग्रेनेड को जिस जगह पर धागा जाता है उसके तीन से 5 मीटर के दायरे में बड़ा नुकसान किया जा सकता है. जबकि डिफेंसिव मूड में 8 से 10 मीटर पर जो भी इंसान मौजूद है उसे नुकसान पहुंचाया जा सकता है. इस ग्रेनेडपर बारिश ह्यूमिडिटी का कोई असर नहीं होता. इसे माइंस 20 डिग्री से लेकर प्लस 55 डिग्री तक के तापमान में रखा जा सकता है. इसके साथ ही डीआरडीओ ने 81 एमएम मोटर और मिसाइल के लिए भी इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज तैयार किया है ताकि उसकी मदद से आसानी से टारगेट को निशाना बनाया जा सके.
फुल बॉडी प्रोटेक्शन सूट तैयार किया
देश में इस समय अर्ध सैनिक बल और पुलिस सभी जगह महिला जवान पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं. ऐसे में डीआरडीओ ने महिलाओं की सुरक्षा के लिए भी एक फुल बॉडी प्रोटेक्शन सूट तैयार किया है. इसकी मदद से महिला जवानों को दंगों या फिर भी भीड़ जमा होने की स्थिति में पत्थर बाजी धक्का मुक्की या फिर हिंसक झड़पों से आसानी से बचाया जा सकता है . रैपिड एक्शन फोर्स की महिला जवान इस फुल बॉडी प्रोटेक्शन सूट का इस्तेमाल कर रही हैं. इसके साथ ही साथ देश की दूसरी जगह से भी लगातार पुलिस इस सूट के ऑर्डर दे रही है. इस सूट की खासियत यह है कि से अलग-अलग साइज में महिलाओं की कद काठी के हिसाब से तैयार किया गया है जिसके लिए जम्मू कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक महिलाओं के अलग-अलग साइज का डाटा तैयार किया गया है. महिला जवानों के लिए या अपने आप में अकेला बॉडी सूट है जो डीआरडीओ ने तैयार किया है.
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