कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए सरकार के प्रयास जारी : US रिपोर्ट

2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में पूरे भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर व्यापक रोशनी डाली गई है. इसका एक हिस्सा कश्मीर को समर्पित किया गया है.

2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में पूरे भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर व्यापक रोशनी डाली गई है. इसका एक हिस्सा कश्मीर को समर्पित किया गया है.

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Ravindra Singh
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जम्मू-कश्मीर( Photo Credit : आईएएनएस)

अमेरिकी विदेशी विभाग की वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए धीरे-धीरे कुछ सुरक्षा और संचार प्रतिबंधों को हटाते हुए कदम उठाना जारी रखा है. इस रिपोर्ट को मंगलवार को वाशिंगटन में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिन्केन ने जारी किया. इस रिपोर्ट में हिरासत में लिए गए राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई, इंटरनेट सेवा की बहाली और स्थानीय चुनावों के आयोजन का उल्लेख किया गया है. स्थानीय चुनावों में विपक्षी गठबंधन ने अधिकांश सीटों पर जीत दर्ज की. रिपोर्ट में आतंकवादियों द्वारा सरकारी अधिकारियों और नागरिकों की हत्या और यातना पर भी ध्यान आकर्षित किया गया है. साथ ही सुरक्षा बलों द्वारा मानवाधिकारों के हनन का भी उल्लेख किया गया है.

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रिपोर्ट में कहा गया है, अलगाववादियों ने जघन्य अपराध किए हैं. इसमें सशस्त्र बलों के जवानों, पुलिस, सरकारी अधिकारियों और नागरिकों की हत्या शामिल है. साथ ही इसमें बाल 'सैनिकों' की भर्ती और उनका दुरुपयोग सहित कई गंभीर अपराधों का जिक्र है. 2020 कंट्री रिपोर्ट्स ऑन ह्यूमन राइट्स प्रैक्टिसेज शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में पूरे भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर व्यापक रोशनी डाली गई है. इसका एक हिस्सा कश्मीर को समर्पित किया गया है. यह रिपोर्ट सरकारी रिपोर्ट एवं बयान, न्यूज स्टोरीज और कई एनजीओ की रिपोर्ट सरीखे सूत्रों पर आधारित है.

विदेश विभाग की रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के स्पेशल रिपोर्टरों के हवाले से कहा गया है कि अगस्त, 2019 में जब कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया गया था तो जम्मू और कश्मीर में मानवाधिकार की स्थिति में गिरावट देखी गई और वे इस बात को लेकर विशेष रूप से चिंतित थे कि कोविड-19 महामारी के दौरान कई प्रदर्शनकारी अभी भी हिरासत में हैं और इंटरनेट प्रतिबंध लागू हैं.

लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, सरकार ने ज्यादातर राजनीतिक कार्यकर्ताओं को नजरबंदी से रिहा कर दिया. जनवरी में सरकार ने इंटरनेट सेवा को आंशिक रूप से बहाल कर दिया; हालांकि हाई स्पीड वाले 4जी मोबाइल इंटरनेट जम्मू और कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में प्रतिबंधित रहा. विदेश विभाग ने कहा कि जम्मू ऐंड कश्मीर कोअलीशन ऑफ सिविल सोसायटी (जेकेसीसीएस) के अनुसार, 2019 में 662 व्यक्तियों को सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया, जिनमें से 412 अगस्त तक नजरबंद रहे.

रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने अधिकांश राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हिरासत से रिहा कर दिया और 15 सितंबर को गृह मंत्रालय ने कहा कि केवल 223 कश्मीरी राजनीतिक नेता जिन्हें अगस्त 2019 के बाद हिरासत में लिया गया था, हिरासत में रहे. लेकिन, कोई भी व्यक्ति नजरबंद नहीं है. रिपोर्ट में कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा पर भी ध्यान दिया गया और इसमें कहा गया है कि उनमें से हजारों लोगों ने संघर्ष और हिंसक धमकी के कारण 1990 के बाद कश्मीर घाटी को छोड़ दिया. इसकी वजह यह रही कि कश्मीरी अलगाववादियों ने कश्मीरी पंडितों के घरों एवं मंदिरों को नष्ट कर दिया, व्यापक स्तर पर यौन शोषण किया गया और उनकी संपत्तियों की लूटपाट की गई.

HIGHLIGHTS

  • यूएस की वार्षिक मानवाधिकार में जिक्र
  • जम्मू-कश्मीर में सुधर रहे हैं हालात
  • हिरासत में रहे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई
jammu-kashmir Jammu and Kashmir Article 370 जम्मू-कश्मीर Internet Ban US report Internet services JKCCS जेकेसीसीएस इंटरनेट बैन
      
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