Ganesh Puja in Kashmir: 1989 के बाद पहली बार मनाई गई गणेश चतुर्थी, मूर्तियां झेलम में प्रवाहित
Ganesh Puja in Kashmir: धारा 370 के हटने के बाद ये पहली बार है जब इस तरह आयोजन किया गया है.
नई दिल्ली:
Ganesh Puja in Kashmir: साल 2019 में 5 अगस्त को जम्मू एंव कश्मीर से धारा 370 हटाया गया. इसके बाद से ही कश्मीर घाटी में लगातार बदलाव देखने को मिल रहा है. यहां कुछ घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो लगातार शांति बनी है. वहीं कुछ बड़े बदलाव देखने को मिला है. जैसे 15 अगस्त के दिन श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा झंड़ा फहराना ये सब शामिल है. वहीं इस मामले पर एक बार फिर बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है. इसी कड़ी में मंगलवार को बड़े ही धूमधाम के साथ कश्मीर में गणेश चतुर्थी मनाई गई. इस दौरान कुछ ओर लोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
विशेष पूजा और यज्ञ
कश्मीर में आतंकवाद फलने के बाद ये पहली बार है कि घाटी में गणेश चतुर्थी का आयोजन किया गया. ये भव्य आयोजन गणपतियार मंदिर में किया गया जो शहर के हब्बा कदल एरिया में है, यहां लोगों ने पूजा भी की. इसका आयोजन करने वाले आयोजक ने जानकारी दी कि कश्मीर में भगवान गणेश के जन्मदिन पर मंदिर में विशेष पूजा के साथ हवन का कार्यक्रम किया गया.
आयोजनकर्ता का बयान
आयोजनकर्ता और कश्मीरी पंडित संजय टिक्कू ने कहा कि आज कश्मीर में पूजा और यज्ञ का आयोजन किया गया था. इसे उसी तरह से मनाया गया जैसे विनायक चतुर्थी महाराष्ट्र सहित पूरे देश में मनाई जाती है. इस दिन सिद्धि विनायक मंदिर में हम विशेष पूजा और यज्ञ करते हैं जो लगभग 12 से 14 घंटे तक चलता है.
1989 के बाद पहली बार
स्थानीय लोगों ने जानकारी दी कि गणपति महराज की प्रतिमा पर्यावरण के अनुकूल बनाया गया था. इसे शाम के वक्त झेलम नदी में विसर्जित किया गया. साल 1989 में आतंकवाद फैलने के बाद ये पहली बार है जब प्रतिमा का विसर्जन किया गया है. विसर्जन से पहले पूरे बैंड बाजा के साथ एक जुलुस निकाला गया था. गणेश चतुर्थी हर साल भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष के चतुर्थी को मनाया जाता है. ये 10 दिनों तक चलने वाला आयोजन है.
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