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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का फिर जागा तालिबान प्रेम

अब हमें मौजूदा अफगान शासकों से बात करनी चाहिए. जब हमने अफगानिस्तान में इतना निवेश कर दिया है तो उनसे संबंध रखने में क्या हर्ज है.

Updated on: 25 Sep 2021, 04:12 PM

नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के नेता  डॉ. फारूक अब्दुल्ला में एक बाऱ फिर  तालिबान के प्रति प्रेम जागा है. उन्होंने कहा कि तालिबान अब अफगानिस्तान में सत्ता में है. ऐसे में हमें यानि की भारत को तालिबान शासकों से बात करनी चाहिए. अब्दुल्ला का तालिबान के प्रति यह नरम रवैया पहली बार नहीं है. लगता है कि जम्मू-कश्मीर के दो प्रमुख नेताओं  फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती में तालिबान को लेकर प्रतिस्पर्धा चल रही है कि कौन तालिबान के पक्ष में ज्यादा बयान देता है. आज यानि शनिवार को फारूक अब्दुल्ला ने ट्वीट किया-

"डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान में पिछले शासन के दौरान विभिन्न परियोजनाओं पर अरबों रुपये खर्च कर दिए हैं. अब हमें मौजूदा अफगान शासकों से बात करनी चाहिए. जब हमने अफगानिस्तान में इतना निवेश कर दिया है तो उनसे संबंध रखने में क्या हर्ज है?"

जम्मू-कश्मीर की सियासत में कई दशकों से अब्दुल्ला परिवार का अच्छा खासा दबदबा रहा है। शेख अब्दुल्ला के बेटे फारूक अब्दुल्ला नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष हैं. अब्दुल्ला की सियासत इतनी पैनी है कि वे तीन बार यहां के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

21 अक्टूबर 1937 को फारूक अब्दुल्ला का जन्‍म हुआ था. उनकी मां का नाम बेगम अकबर जहां अब्दुल्ला है. उन्‍होंने श्रीनगर में ही अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके बाद जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया. इसके बाद उन्होंने लंदन में प्रैक्टिस भी की. लंदन में ही उन्होंने ब्रिटिश मूल की नर्स मौली से शादी की. बेटे उमर अब्‍दुल्‍ला के साथ ही फारूक की तीन बेटियां साफिया, हिना और सारा हैं. उनकी बेटी सारा की शादी राजस्थान के उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट से हुई है.

फारूक अब्दुल्ला 1980 में हुए आम चुनावों में श्रीनगर से सांसद चुने गए थे. इसके एक साल बाद 1981 में उन्हें नेशनल कॉन्फ्रेंस का अध्यक्ष चुना गया. 1982 में उनके पिता शेख अब्दुल्ला की मौत हो गई. इसके बाद उन्‍होंने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल लिया और मुख्यमंत्री बन गए. लेकिन उनके बेहनोई गुलाम मोहम्मद शाह के विरोध के चलते अब्‍दुल्‍ला अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके. इसके बाद फारूक लंदन चले गए. 1996 में वे फिर से कश्मीर लौट आए और 1996 में विधानसभा चुनाव लड़ा. 1999 में अटल बिहारी की गठबंधन सरकार बनी तो उसमें उनकी पार्टी भी शामिल हुई. इसी सरकार में उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को केंद्र में मंत्री पद दिया गया.