जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने दो साल पहले कथित रूप से फर्जी खबर लिखने को लेकर श्रीनगर के एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को बृहस्पतिवार को रद्द करते हुए कहा कि उनके पास यह यकीन करने का पूरा कारण था कि वह सही तथ्यों के आधार पर खबर लिख रहे हैं. न्यायमूर्ति संजय धर की एकल पीठ ने कहा कि खबर लिखने या उसे प्रसारित करने वाले व्यक्ति के पास अगर यह विश्वास करने का तार्किक आधार है कि तथ्य सही हैं और वह अच्छी मंशा से ऐसा कर रहा है तो, उस व्यक्ति के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 505 के तहत कोई मामला नहीं बनता है. एक राष्ट्रीय अखबार के पत्रकार एम. सलीम पंडित के खिलाफ यह प्राथमिकी दर्ज थी. पुलिस को शिकायत मिली थी कि पंडित ने झूठी खबर प्रकाशित की है कि अप्रैल 2018 में पथराव करने वालों ने पर्यटकों को निशाना बनाया जिसमें चार महिलाएं घायल हो गयी हैं.
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