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CBI ने फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में जम्मू-कश्मीर में 40 जगहों पर मारा छापा

फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई ने शनिवार को श्रीनगर के पूर्व डीसी शाहिद इकबाल चौधरी के सरकारी आवास समेत 40 ठिकानों पर छापेमारी की

Updated on: 24 Jul 2021, 06:38 PM

highlights

  • फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले में सीबीआई की छापेमारी
  • जम्मू-कश्मीर के आधा दर्जन इलाकों में की छानबीन

श्रीनगर:

फर्जी बंदूक लाइसेंस मामले (fake gun license case) में जांच कर रही केंद्रीय जांच ब्यूरो सीबीआई ने शनिवार को श्रीनगर के पूर्व डीसी शाहिद इकबाल चौधरी के सरकारी आवास समेत 40 ठिकानों पर छापेमारी की. मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई ने जम्मू, श्रीनगर, ऊधमपुर, राजौरी, अनंतनाग व बारामुला आदि जगहों पर छानबीन की. आपको बता दें कि सीबीआई लंबे समय से फर्जी गन लाइसेंस मामले में जांच कर रही है. इस क्रम में भारी दलबल के साथ शाहिद चौधरी के तुलसीबाग स्थित आवास पर पहुंची सीबीआई की टीमों ने वहां तलाशी ली. जिसमें कुछ तत्कालीन लोक सेवकों (आईएएस, केएएस अधिकारियों सहित तत्कालीन डीएम एवं एडीएम आदि) के आधिकारिक और आवासीय परिसर शामिल हैं.

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सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि हथियार लाइसेंस रैकेट से जुड़े एक मामले में चल रही जांच के तहत वह करीब 20 बंदूक घरों (गन हाउस) या डीलरों की तलाशी भी ले रहा है. सीबीआई के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि तलाशी शनिवार अलसुबह शुरू हुई. एजेंसी के एक सूत्र ने खुलासा किया कि सीबीआई श्रीनगर के पूर्व उपायुक्त शाहिद इकबाल चौधरी और एक अन्य आईएएस अधिकारी नीरज कुमार सहित अन्य के परिसरों की तलाशी ले रही है. सीबीआई ने जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुरोध पर और केंद्र सरकार के आदेश पर दो मामले दर्ज किए थे. सीबीआई ने 17 मई, 2018 को तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में 2012 और 2016 के बीच की अवधि के दौरान हथियार लाइसेंस जारी करने के आरोपों पर दो प्राथमिकी की जांच का जिम्मा संभाला था. यह आरोप लगाया गया है कि गैर-हकदार व्यक्तियों को 2.78 लाख से अधिक हथियार लाइसेंस जारी किए गए थे.

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सीबीआई ने कथित रूप से जम्मू-कश्मीर के 22 जिलों में फैले उक्त सशस्त्र लाइसेंस जारी करने से संबंधित दस्तावेज भी एकत्र किए हैं. अधिकारी ने कहा कि दस्तावेजों की जांच के दौरान कुछ बंदूक डीलरों की भूमिका पाई गई है, जिन्होंने संबंधित जिलों के तत्कालीन डीएम और एडीएम सहित लोक सेवकों की मिलीभगत से अपात्र व्यक्तियों को इस तरह के अवैध हथियार लाइसेंस जारी किए थे. उन्होंने कहा कि यह भी आरोप लगाया गया है कि जिन लोगों को ये लाइसेंस मिले हैं, वे उन जगहों के निवासी नहीं थे, जहां से उक्त शस्त्र लाइसेंस जारी किए गए थे.