इंटरनेट पर पाबंदी लगाना उचित नहीं, इसे बैन करने का उचित आधार होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इंटरनेट के जरिये सूचना का आदान-प्रदान आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है. इंटरनेट पर बैन के वाजिब कारण होने चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इंटरनेट के जरिये सूचना का आदान-प्रदान आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है. इंटरनेट पर बैन के वाजिब कारण होने चाहिए.

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Sunil Mishra
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इंटरनेट पर पाबंदी लगाना उचित नहीं, इसे बैन करने का उचित आधार होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

Article 370 के तहत लगी पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला( Photo Credit : File Photo)

अनुच्‍छेद 370 हटाने के दौरान पिछले साल 5 अगस्‍त को जम्‍मू-कश्‍मीर में लगाई गईं पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा, हमारा काम था कि आजादी और सुरक्षा चिंताओ के बीच संतुलन कायम करना. कोर्ट ने कहा, इंटरनेट के बेजा इस्तेमाल और सूचनाएं फैलाने के इंटरनेट के रोल के बीच के फर्क को हमें समझना होगा. कोर्ट कश्‍मीर की राजनीति में हस्‍तक्षेप नहीं करेगा. कोर्ट का दायित्‍व है कि नागरिकों को सभी सुरक्षा और अधिकार मिले. कोर्ट ने कहा, जम्‍मू-कश्‍मीर में पाबंदी को लेकर केंद्र सरकार के आदेशों की अगले 7 दिनों में समीक्षा होगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इंटरनेट के जरिये सूचना का आदान-प्रदान आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है. इंटरनेट पर बैन के वाजिब कारण होने चाहिए. कोर्ट ने धारा 144 को लेकर कहा, इसे विचारों की विविधता को दबाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा, सरकार द्वारा प्रतिबंध से जुड़े आदेश कोर्ट में पेश करने से इंकार करना सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने जम्‍मू-कश्‍मीर में ई-बैंकिंग और व्‍यापारिक सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया है.

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कोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते के अंदर पाबंदियों के सभी आदेशों की समीक्षा करने को कहा है. कोर्ट ने यह भी कहा, पाबंदियों से जुड़े सभी आदेशों को सार्वजनिक किया जाए ताकि उन्हें कोर्ट में चुनौती दी जा सके.

Source : Arvind Singh

Jammu and Kashmir Article 370 Article 19 Right to Expression
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