हिमालय की गोद में स्थित राष्ट्रीय उद्यान में अकेली रहनेवाली 80 साल से ज्यादा उम्र की चतरी देवी इस विधानसभा चुनाव में नोटबंदी करने वालों को वोट नहीं करेंगी, क्योंकि उनके तीन नोट किसी काम के नहीं रह गए।
उनकी शिकायत है कि वह पिछले साल नोटबंदी के बाद 500 रुपये के तीन नोट नहीं बदलवा पाई। उनका पोता गुमत राम ने बताया कि 'इसी वजह से वह बीजेपी से नाराज हैं।'
राम ने बताया कि गुरुवार को वह राष्ट्रीय उद्यान से बाहर निकलकर कुल्लू जिले के नोहंदा पंचायत स्थित धरान गांव वोट डालने जाएंगी, मगर वह इस बार बीजेपी को वोट नहीं करेंगी।
हिमाचल प्रदेश की 68 सदस्यी विधानसभा के लिए गुरुवार को मतदान होगा और मतों की गिनती 18 दिसंबर को होगी। 83 वर्षीय चतरी देवी यूनेस्को चिन्हित हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान में अकेली रहती हैं। यह उद्यान कुल्लू की मनोरम घाटी स्थित जैव-विविधता से परिपूर्ण जगह है।
उद्यान के अधिकारी बताते हैं कि 784 वर्ग किलोमीटर में फैले इस उद्यान में वह अकेली रहती हैं।उनके परिवार में तीन विवाहित बेटे और बहुएं और नौ पोते-पोतियां हैं, लेकिन उसे घर से दूर वन्यजीव उद्यान रहना पसंद है। इस उद्यान को 1999 में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला था। दरअसल उसे वहां लकड़ी से बने अपने छोटे से घर से बहुत लगाव है।
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चतरी देवी ने कहा, 'मैं तीस साल से इस पार्क में रह रही हूं तो अब बाहर क्यों जाऊं।'
उसने पांच-पांच सौ रुपये के अपने तीनों नोट दिखाए, जिसे वह बदवा नहीं सकी है, क्योंकि सरकार ने 30 दिसंबर के बाद रद्द हुए नोटों को बदलवाने के मौके नहीं दिए। उसने कहा कि पास का जो बैंक है, वह भी यहां से 10 किलोमीटर दूर है और वहां जाने के लिए एक से डेढ़ घंटे लगते हैं।
उनका कहना था कि शुरू में बैंकों में भारी भीड़ थी, इसलिए मैं नहीं बदलवा सकी और मुझे अचानक मालूम हुआ कि नोट बदलवाने की तारीख बीत गई। उसने पूछा, 'अब तुम्हीं बताओ मैं इन कागज के टुकड़ों का क्या करूं।'
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Source : IANS