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हिमाचलः जुब्बल कोटखाई से BJP MLA नरेंद्र बरागटा का निधन, CM जयराम ने जताया दुख

नरेंद्र बरागटा पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में उनका इलाज चल रहा था. पूर्व मंत्री के बेटे चेतन बरागटा ने उनके निधन की जानकारी दी. हिमाचल प्रदेश की जयराम ठाकुर की सरकार में नरेंद्र बरागटा मुख्य सचेतक थे.

Updated on: 05 Jun 2021, 11:08 AM

highlights

  • कोरोना के कारण सांस लेने में थी समस्या
  • काफी दिनों से PGI, चंडीगढ़ में चल रहा था इलाज
  • धूमल सरकार में बनाया गया था बागवानी मंत्री

नई दिल्ली:

हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के शिमला जिले के जुब्बल कोटखाई से बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री नरेंद्र बरागटा (Narender Bragta) का शनिवार सुबह निधन हो गया. चंडीगढ़ के पीजीआई (Chandigarh PGI) अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. नरेंद्र बरागटा पिछले काफी दिनों से बीमार चल रहे थे और चंडीगढ़ स्थित पीजीआई में उनका इलाज चल रहा था. पूर्व मंत्री के बेटे चेतन बरागटा ने उनके निधन की जानकारी दी. हिमाचल प्रदेश की जयराम ठाकुर की सरकार में नरेंद्र बरागटा मुख्य सचेतक थे. कल ही हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) ने उनकी कुशल-क्षेम पूछी थी.

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सीनियर नेता नरेंद्र बरागटा के निधन पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जताया है. मुख्यमंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि 'भारतीय जनता पार्टी हिमाचल के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री व प्रदेश सरकार में मुख्य सचेतक नरेंद्र बरागटा जी के निधन का समाचार सुन कर स्तब्ध हूं. आज हमने एक ईमानदार एवं कर्मठ नेता को खोया है. जुब्बल-कोटखाई एवं हिमाचल भाजपा सहित यह पूरे हिमाचल के लिए अपूरणीय क्षति है.'

बता दें कि बरागटा कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद पोस्ट कोविड संक्रमण से जूझ रहे थे. वो 20-25 दिनों से पीजीआई में भर्ती थे. उनकी दूसरी बीमारी डायग्नोज नहीं हो पा रही थी और उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. कल ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पीजीआई जाकर नरेंद्र बरागटा का हाल-चाल लिया था. इस दौरान उन्होंने बरागटा का इलाज कर रहे डॉक्टरों से भी बात की थी. इसकी जानकारी उन्होंने ट्विटर पर भी दी थी. 

नरेंद्र बरागटा के करियर पर नजर

नरेंद्र बरागटा का जन्म 15 सितंबर 1952 को घर गांव टहटोली तहसील कोटखाई जिला शिमला में हुआ था. उनके दो पुत्र चेतन ब्रागटा व ध्रुव बरागटा हैं. बरागटा 1969 में डीएवी स्कूल शिमला में छात्र संसद के महासचिव बने  तथा 1971 में एसडीबी कॉलेज शिमला के केंद्रीय छात्र संघ के उपाध्यक्ष चुने गए. संगठन की दृष्टि से 1978 से लेकर 1982 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे तो 1983 से लेकर 1988 तक जिला शिमला भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री बने. 1993 से लेकर 1998 तक भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे. इसके  अतिरिक्त वह राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर भी कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे.

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1998 में वह शिमला विधानसभा चुनाव क्षेत्र से विधायक बने तथा तत्कालीन धूमल सरकार में उन्हें बागवानी मंत्री बनाया गया. उसके बाद जुब्बल कोटखाई चुनाव क्षेत्र से 2007 से लेकर 2012 तक विधायक बने तथा तत्कालीन धूमल सरकार में बागवानी एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री रहे . वर्तमान में वह जुब्बल कोटखाई चुनाव क्षेत्र से विधायक व सरकार में मुख्य सचेतक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे.