मनाली एक टूरिस्ट स्पॉट जो जाना जाता है अपनी दिलकश नजारों के लिए हसीन वादियों के लिए. सर्दी हो या गर्मी सैलानियों के आने का सिलसिला यहां लगातार जारी रहता है. लेकिन ओल्ड मनाली पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. न्यूज नेशन की टीम इस वक्त मनाली से रोहतांग लद्दाख को जोड़ने वाले हाइवे पर मौजूद है. यहां की सबसे व्यस्त सड़क है. इस सड़क पर एक तरफ बीआरओ का दफ्तर और डीआरडीओ का रिसर्च सेंटर मौजूद है और साथ ही रिहायशी इलाका है. इस इलाके में लगभग 3000 परिवार रहते हैं. दूसरी तरफ इस सड़क पर सैलानियों के लिए कैफे और रेस्टोरेंट्स मौजूद हैं. ओल्ड मनाली का ये दिलकश नजारा कब एक खौफनाक मंजर में बदल जाएगा कहा नहीं जा सकता.
हाईवे दो साल पहले टूट चुका था
ये हैं खतरे की पहली जगह जहां से व्यास नदी बह रही है. यह नदी इस वक्त उफान पर है. लेकिन जब पहाड़ों में बादल फटे या फिर बारिश हो उस वक्त यह नदी विकराल रूप धारण कर लेती है. इसका प्रमाण है वे टूटी हुई सड़क जो कि 2023 की बाढ़ में टूटी थी. हाईवे दो साल पहले टूट चुका था लेकिन आज तक इसकी मरम्मत नहीं की गई.
यह वो जगह है जहां से व्यास नदी का बहाव तेज होने पर पानी सीधा आकर हिट करता है और यहीं से यह पानी मनाली के रिहायशी इलाके को तबाह कर सकता है. टीम जहां मौजूद है यह वो जगह जहां पर 1995 में बाढ़ का पानी रिहायशी इलाके से होता हुआ डीआरडीओ के दफ्तर तक पहुंचा. 1995 मैं डीआरडीओ की ओर से यहां पर ढांचा तैयार किया गया लेकिन अब वो ढांचा बहुत पुराना हो चुका है और नदी ने भी अपना रास्ता बदल लिया है. कुछ ही दिन पहले आई बाढ़ में यहां की दूकानें पूरी तरह खत्म हो गई. जिन दुकानों के सिर्फ शटर यहां पर मौजूद है स्थानीय लोगों का कहना है यहां पर उन्हें रहने में बहुत खतरा है. और पहले भी बाढ़ आ चुकी हैं लेकिन इसके बावजूद प्रशासन द्वारा कोई सुरक्षा कार्य नहीं किए गए.
2 मंजिला होटल तबाह हो चुका था
साल 2023 में जो बाढ़ आई उस में यहां मौजूद 2 मंजिला होटल तबाह हो चुका था. नदी के बहाव का अंदाजा इस चीज से लगाया जा सकता है कि यहां पर सिवाय पत्थरों के आज किसी होटल का कोई नामोनिशान नहीं है. यहां काम करने वाले मजदूर ने बताया कि वह कितने बड़े खतरे में इस वक्त खड़े हैं. मौके की संजिदगी को देखते हुए मनाली के विधायक भी यहां पहुंचे जिनका. साफ तौर पर कहना था कि यह काम एनएचएआई और बीआर ओ. द्वारा किया जाना था लेकिन लगातार कहने के बाद भी उनके द्वारा कोइ सुरक्षा कार्य नहीं किया गया. जब जब व्यास नदी ने अपना विकराल रूप धारण किया तब दब ओल्ड मनाली में नदी का पानी इस जगह से घुसा और तबाही मचा दी. इस तबाही का सुबूत है डीआरडीओ के रिसर्च सेन्टर की यह टूटी दीवार जो कि अभी तक दुरुस्त नहीं की गई. यहां पर कहीं घर और दुकानें हुआ करती थीं जो कि नदी की चपेट में आई और सब कुछ तबाह हो गया. डीआरडीओ का रिसर्च सेन्टर जहां पर बर्फबारी और एवलांच पर रिसर्च की जाती हैं, इस वक्त खतरे में है और साथ ही खतरे में हैं यहां रहने वाले 3000 परिवार भी हैं.