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हिमाचल में बना जबरन धार्मातरण के खिलाफ कानून, राज्यपाल ने दी मंजूरी

हिमाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा विधेयक पारित किए जाने के एक साल बाद, राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने 'जबरन धर्मातरण' की जांच करने के लिए कानून बना दिया है.

Updated on: 21 Dec 2020, 01:27 PM

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हिमाचल प्रदेश विधानसभा द्वारा विधेयक पारित किए जाने के एक साल बाद, राज्य की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने 'जबरन धर्मातरण' की जांच करने के लिए कानून बना दिया है. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने 'हिमाचल प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2019' को मंजूरी दे दी है जिसे 30 अगस्त, 2019 को विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित किया गया था.

कानून के क्रियान्वन के बारे में एक अधिसूचना 18 दिसंबर को गृह विभाग द्वारा जारी की गई. दलगत राडनीति से परे जाकर सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश फ्रीडम ऑफ रिलीजन बिल, 2019 पारित किया था. हालांकि, माकपा के राकेश सिंह ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आशंका व्यक्त की थी।

कानून के अनुसार, "कोई भी व्यक्ति बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या धोखाधड़ी के माध्यम से या तो सीधे या अन्यथा किसी भी तरीके से व्यक्ति का धर्मांतरण करने का प्रयास नहीं करेगा." कानून में कहा गया है कि सात साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है. मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, जिन्होंने विधानसभा में विधेयक पेश किया था, ने कहा था, "हम उस अधिनियम (2006) के बाद धर्मातरण को रोकने में सक्षम नहीं हैं. धर्मातरण के कई मामले प्रकाश में आने के बावजूद अब तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था. पिछले अधिनियम में 10 संशोधनों की आवश्यकता थी, इसलिए हमने नया विधेयक लाने का फैसला किया. नया अधिनियम अधिक कठोर होगा."