Himachal Pradesh: राज्यसभा चुनाव में हुई क्रॉस वोटिंग के बाद हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार पर मंडराए संकट के बीच थोड़ी राहत भरी खबर सामने आई है. प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. उन्होंने संगठन को सर्वोपरी बताया है. विक्रमादित्य ने कहा कि उनकी मांगों को मान लिया गया है, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया है. हालांकि इससे पहले राजधानी शिमला में मीडिया से बातचीत करते समय वह भावुक हो गए थे. इस दौरान उन्होंने कहा था कि मेरे पिता की मूर्ति लगाने के लिए दो गज जमीन तक नहीं मिली. जबकि वह एक नहीं बल्कि छह बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
इससे पहले कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि हमने प्रेक्षक से वार्तालाप किया है और वर्तमान में जो परिस्थितियां बनी हुई हैं उसके बारे में प्रेक्षक को जानकारियां दी हैं इसलिए जब तक निर्णय नहीं लिया जाता तब तक मैं अपने इस्तीफे पर दबाव नहीं डालूंगा. वे सभी विधायक से बात कर रहे हैं उसके बाद निर्णय लिया जाएगा. वहीं, हिमाचल प्रदेश कांग्रेस प्रमुख और सांसद प्रतिभा सिंह ने कहा था कि जबसे सरकार बनी है यह ठीक नहीं चल रही है... इस बात की जानकारी हमने अपने हाईकमान को दी और हमने चाहते थे कि इसका कोई समाधान निकाला जाता... एक साल से ज़्यादा हो चुका है, कोई निर्णय नहीं लिया जिस कारण से आज यह हाल हुआ है... विक्रमादित्य का इस्तीफा पार्टी से नहीं बल्कि कैबिनेट से दिया गया, मुख्यमंत्री इस्तीफा स्वीकार नहीं किया..."
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. उन्होंने राज्यसभा चुनाव नतीजों के एक दिन बाद यानी 28 फरवरी को प्रदेश के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. विक्रमादित्य सिंह हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह के बेटे हैं. उन्होंने राज्य के मौजूदा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे. उन्होंने सुक्खू सरकार पर विधायकों को लेकर लापरवाही बरतने और अपनी दिवंगत पिता का अनादर करने का आरोप लगाया था.
Source : News Nation Bureau