मनोहर लाल, मुख्यमंत्री, हरियाणा (Photo Credit: TWITTER HANDLE)
नई दिल्ली:
पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने से अक्टूबर-नवंबर में दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण बढ़ जाता है. जिसके कारण लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. पंजाब-हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं से दिल्ली-एनसीआर के लोग कई सालों से चिंतित हैं. इस बीच, राहतभरी जानकारी सामने आई है कि पिछले साल की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है. ऐसे में राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण से भी राहत मिलने के आसार जताए जा रहे हैं. सरकारें भी लगातार किसानों से पराली न जलाने की अपील करती रही हैं.
We have asked industries to use stubble for ethanol, energy production. This time there are fewer cases of stubble burning. At some places those who are doing it, we are taking strict action against them: Haryana CM Manohar Lal Khattar pic.twitter.com/WIyclEoUmA
— ANI (@ANI) October 17, 2021
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाला खट्टर ने कहा कि "हमने उद्योगों से इथेनॉल, ऊर्जा उत्पादन के लिए पराली का उपयोग करने को कहा है. इस बार पराली जलाने के मामले कम हैं. कुछ जगहों पर जो ऐसा कर रहे हैं, हम उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई कर रहे हैं."
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा " हरियाणा सरकार किसानों को प्रति एकड़ 1000 रुपये प्रदान कर रही है और उद्योग भी इस बार पराली खरीदने आ रहे हैं. हम नहीं बढ़ने देंगे प्रदूषण."
Govt is providing Rs 1000 per acre to farmers & industries are also coming to buy stubble this time. We will not let the pollution increase: Haryana CM Manohar Lal Khattar
— ANI (@ANI) October 17, 2021
पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आठ जिलों में पराली जलाने की घटनाएं इस साल काफी कम हुई हैं. इस महीने पराली जलाने की कुल 1,795 घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो पिछले साल इसी अवधि में आई 4,854 घटनाओं से कम है. केंद्र के वायु गुणवत्ता आयोग ने शुक्रवार को यह जानकारी दी.
यह भी पढ़ें : संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, निहंग समूह और मृतक का मोर्चा से कोई संबंध नहीं
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) और उससे जुड़े इलाकों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा बनाए प्रोटोकॉल पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार, धान के अवशेष जलाने की घटनाएं एक महीने के दौरान पंजाब में 64.49 प्रतिशत, हरियाणा में 18.28 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश के आठ NCR जिलों में 47.61 प्रतिशत कम हुई हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ये घटनाएं अधिक थीं.