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3 सप्ताह में 7 बच्चों की मौत से हरियाणा के गांव में दहशत, जानें क्या है कारण

पलवल से 20 किलोमीटर दूर चिल्ली गांव में स्वास्थ्य अधिकारी मौत के कारणों की जांच के लिए एक पंचायत घर में डेरा डाले हुए हैं.

Updated on: 15 Sep 2021, 07:55 AM

highlights

  •  तीन सप्ताह में तेज बुखार से 8 बच्चों की मौत से गांव में दहशत
  •  स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए गांव में डाला डेरा
  • गांव वाले कह रहे हैं कि डेंगू से हुई बच्चों की मौत, स्वास्थ्य विभाग कह रहा कारणों का कर रहे हैं अध्ययन

 

नई दिल्ली:

हरियाणा के पलवल जिले में तीन सप्ताह के भीतर सात बच्चों की मौत से क्षेत्र में दहशत है. मृत बच्चों की आयु 14 वर्ष से कम है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण कर रहे हैं. पलवल से 20 किलोमीटर दूर चिल्ली गांव में स्वास्थ्य अधिकारी मौत के कारणों की जांच के लिए एक पंचायत घर में डेरा डाले हुए हैं. बच्चों के मौत के कारणों का अभी पता नहीं चला है.  स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा डेंगू, निमोनिया, आंत्रशोथ से लेकर स्वच्छता की कमी के कारण वेक्टर जनित रोगों तक का हवाला दिया जा रहा है.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों गांव के 275 घरों में 2,947 लोगों के बीच एक सर्वेक्षण कर रहे हैं और मलेरिया, डेंगू, कोविड और अन्य वेक्टर जनित बीमारियों के लिए परीक्षण कर रहे हैं. जबकि गांववासियों का दावा है कि मौतें डेंगू के कारण हुई हैं, अधिकारियों का कहना है कि उनकी टीम, जिसमें एक महामारी विज्ञानी, एक विज्ञान अधिकारी और स्वास्थ्य निरीक्षक शामिल हैं, "पैटर्न का अध्ययन" कर रही है, लेकिन अभी तक एक लिंक नहीं मिला है. अधिकारियों का कहना है कि ऐसी संभावना है कि मौतें गांव में खराब स्वच्छता के कारण उत्पन्न होने वाली कई बीमारियों के कारण हो सकती हैं. अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने घर-घर जाकर सर्वेक्षण के दौरान पिछले 20 दिनों में सात मौतों की गिनती की है. गांव के निवासियों और सरपंच का कहना है कि कम से कम नौ बच्चों की मौत हो गई है.

पलवल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ ब्रह्मदीप संधू ने कहा कि हम डेंगू से इंकार नहीं कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल, हमें गांव से लिए गए नमूनों से कोई डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं मिली है. गांव में होने वाली मौतों में से दो संदिग्ध निमोनिया से थीं, एक गंभीर एनीमिया का मामला था, एक गैस्ट्रोएंटेराइटिस से बुखार के कारण था, एक तेज बुखार और दूसरा सदमे के साथ बुखार के कारण था. कल की मौत के मामले में इससे जुड़ी कोई बीमारी नहीं थी.

मंगलवार को गांव में एक और मौत की सूचना मिली. एक महीने की बच्ची की मौत लगभग 3 बजे हुई, उसके पिता जाफरुद्दीन  का कहना है कि जब वह आधी रात को वॉशरूम जाने के लिए उठा और देखा कि बच्ची बेसुध पड़ी थी. उसे बुखार नहीं था. वह कहता है कि मुझे नहीं पता कि यहां क्या हो रहा है. गांव में भय और दहशत का माहौल है. जाफरुद्दीन ट्रैक्टर चालक है. और दोपहर 12.15 बजे, तेज बुखार वाले दो बच्चों को पलवल जिला अस्पताल ले जाया गया. 

एक मीडिया रिपोर्ट की पड़ताल में मृत छह बच्चों के लक्षण समान थे. उनके परिवार के सदस्यों  का कहना है कि तेज बुखार, दाने, उल्टी, कम प्लेटलेट काउंट के कारण बच्चों की मौत हुई.उनका कहना है कि बुखार की सूचना देने के 3-4 दिनों के भीतर बच्चों की मौत हो गई.

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एक मजदूर सलमुद्दीन (40) ने कहा कि उसके 7 वर्षीय बेटे साकिब को 27 अगस्त को तेज बुखार हुआ। “उसे बुखार और सीने में दर्द की शिकायत थी. हम उसे स्थानीय डॉक्टर के पास ले गए जिन्होंने दवा दी. लेकिन जब बुखार कम नहीं हुआ, तो हम हथिन के एक निजी अस्पताल में गए, जिसने डेंगू के लिए एक परीक्षण का सुझाव दिया. उनका प्लेटलेट काउंट 30,000 तक गिर गया था, जिसे डॉक्टर ने गंभीर बताया था. फिर उन्हें 31 अगस्त की रात नूंह के नल्हर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. अगली सुबह, उनकी मृत्यु हो गई. बुखार आने से करीब एक हफ्ते पहले वह दौड़ रहा था. अब वह चला गया.

संजीदा पिछले छह दिनों से सोई नहीं है. उसके 6, 7 और 14 वर्ष की आयु के तीन बच्चों को सितंबर के पहले सप्ताह में बुखार हो गया और उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराना पड़ा. उनकी सबसे छोटी बेटी, 6 वर्षीय सेहेनजुम का 8 सितंबर को निधन हो गया.

बुखार आने के चार दिनों के भीतर उसकी मृत्यु हो गई. 4 सितंबर को उसे  तेज बुखार, मतली, खाँसी आ रही था. परिजनों ने  इसे सामान्य बुखार मान कर अपने गांव के स्थानीय डॉक्टर के पास ले गए. जब बुखार कम नहीं हुआ तो हमने उसे पलवल के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया. अस्पताल ने हमें प्लेटलेट्स की व्यवस्था करने के लिए कहा. दो दिन बाद, डॉक्टरों ने कहा कि उसकी हालत बिगड़ गई है और उसे बचाया नहीं जा सकता. जब हम उसे घर ला रहे थे तब उसकी मौत हो गई.  

फरजीना, जिसके 7 वर्षीय बेटे फरहान की 1 सितंबर को मृत्यु हो गई, ने कहा “उसे 29 अगस्त को तेज बुखार था. हम उसे परीक्षण के लिए पुन्हाना की एक निजी प्रयोगशाला में ले गए. उनका प्लेटलेट काउंट करीब 45 हजार था. अगले दिन उन्हें नलहर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया और दो दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई. कई निवासियों ने अपने बच्चों की कम प्लेटलेट काउंट की निजी लैब रिपोर्ट दिखाई.

सभी मामलों में, बच्चों की प्लेटलेट काउंट तेजी से नीचे चली गई और फिर मृत्यु हो गई. कौन सा बुखार कुछ दिनों के भीतर मौत का कारण बनता है? अब इतने लोगों की मौत के बाद फॉगिंग और नालियों की सफाई की जा रही है.

मिर्च गांव के सरपंच नरेश कुमार ने बताया कि पिछले 20 दिनों में गांव में नौ लोगों की मौत हो चुकी है. “निजी प्रयोगशालाओं, जहां अधिकांश बच्चों को ले जाया गया, ने ग्रामीणों को बताया कि मामले डेंगू से संबंधित हैं और प्लेटलेट्स की संख्या कम थी. सरकारी अस्पताल कह रहा है कि रिपोर्ट का इंतजार है. कुछ और बच्चे निजी अस्पतालों में भर्ती हैं. कुछ ग्रामीणों द्वारा पिछले सप्ताह उप-मंडल मजिस्ट्रेट को मौतों की सूचना दिए जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया, जिसके बाद नमूने लिए गए और अधिकारियों ने गांव का दौरा किया.