हरियाणा में शिक्षकों से कुत्तों की निगरानी कराने पर बवाल, कैथल में धरना

दिल्ली के बाद हरियाणा में शिक्षकों से आवारा कुत्तों की गिनती और निगरानी कराने के आदेश पर विवाद तेज हो गया है. कैथल में शिक्षक धरने पर हैं. आम आदमी पार्टी ने इसे शिक्षा विरोधी फैसला बताते हुए सरकार पर सवाल उठाए हैं

दिल्ली के बाद हरियाणा में शिक्षकों से आवारा कुत्तों की गिनती और निगरानी कराने के आदेश पर विवाद तेज हो गया है. कैथल में शिक्षक धरने पर हैं. आम आदमी पार्टी ने इसे शिक्षा विरोधी फैसला बताते हुए सरकार पर सवाल उठाए हैं

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Ravi Prashant
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राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा Photograph: (X)

दिल्ली के बाद अब हरियाणा में भी शिक्षकों की ड्यूटी आवारा कुत्तों की गिनती और निगरानी में लगाए जाने को लेकर असहमति सामने आई है. कैथल जिले में शिक्षक इस फैसले के विरोध में धरने पर बैठे हैं. शिक्षकों का कहना है कि उनकी नियुक्ति शिक्षण कार्य के लिए हुई है और उन पर गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियां डाले जाने से पढ़ाई प्रभावित होती है.

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नई ड्यूटी से काम का दबाव बढ़ेगा.

इस मुद्दे पर आप के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने बयान जारी कर कहा कि शिक्षकों को मूल शिक्षण कार्य पर ही केंद्रित रखा जाना चाहिए. उनका कहना है कि पहले से ही शिक्षकों पर कई अतिरिक्त जिम्मेदारियां हैं, ऐसे में नई ड्यूटी से काम का दबाव बढ़ेगा.

बड़ी संख्या में शिक्षक पद हैं खाली

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में लगभग 14 हजार सरकारी स्कूल हैं, जबकि बड़ी संख्या में शिक्षक पद खाली हैं. कई स्कूलों में स्थायी हेडमास्टर नहीं हैं और कुछ स्थानों पर एक ही शिक्षक सैकड़ों छात्रों की जिम्मेदारी संभाल रहा है. इसी बीच कैथल जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से 24 दिसंबर 2025 को जारी आदेश में हर स्कूल में आवारा कुत्तों की निगरानी के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने की बात कही गई है.

मामला स्कूलों तक सीमित नहीं रहा. रोहतक स्थित Maharshi Dayanand University में भी 24 दिसंबर 2025 को जारी आदेश के तहत परिसर में आवारा कुत्तों की निगरानी की जिम्मेदारी शिक्षकों को सौंपी गई है.

शिक्षकों का क्या कहना है? 

शिक्षकों का कहना है कि कई सरकारी स्कूलों में चौकीदार तक उपलब्ध नहीं हैं, ऐसे में अतिरिक्त जिम्मेदारियां देना व्यावहारिक नहीं है. उनका सुझाव है कि यदि आवारा जानवरों की निगरानी जरूरी है, तो इसके लिए अलग से स्टाफ या व्यवस्था की जानी चाहिए. इस पूरे मामले पर प्रशासनिक स्तर पर विचार की मांग की जा रही है, ताकि शिक्षकों का मुख्य कार्य—पढ़ाई—प्रभावित न हो और स्कूलों में शैक्षणिक व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहे

AAP
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