Haryana News: हरियाणा में भी अब हिमाचल की तर्ज पर जेल में कैदियों को सैलरी दी जाएगी. यहां अब जेलों में तैयार उत्पादों की बिक्री से होने वाले मुनाफे में कैदियों को 40 प्रतिशत हिस्सेदारी देने की नीति को प्रदेश सरकार ने मंजूर कर दिया है. हालांकि, पंजाब में भी यही नीति लागू है, जबकि चंडीगढ़ प्रशासन केंद्र सरकार की हरी झंडी की बाट जोह रहा है.
केंद्र सरकार पर टिकी निगाहें
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को हरियाणा सरकार ने सूचित किया कि कैदियों के लिए एक खास नीति लागू हो चुकी है. इसके तहत उत्पादों की बिक्री से होने वाले मुनाफे का 40 प्रतिशत हिस्सा कैदियों को दिया जाएगा. वहीं, पंजाब सरकार ने जानकारी दी कि कैदियों के खातों में यह लाभांश जमा किया जा रहा है. चंडीगढ़ प्रशासन ने बताया कि योजना को लेकर तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, लेकिन इसे लागू करने के लिए अब निगाहें केंद्र सरकार की मंजूरी पर टिकी हैं.
तीन महीने में मंजूरी का निर्देश
इसपर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि ज्यादातर राज्यों ने इस नीति को अपनाया है, इसलिए इस मामले को लंबित रखना ठीक नहीं होगा. अदालत ने केंद्र सरकार को चंडीगढ़ प्रशासन की योजना को तीन महीने के भीतर मंजूरी देने का निर्देश दिया. इसके साथ ही याचिका का निपटारा कर दिया गया और संबंधित क्रिमिनल अपील को उचित बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने का भी आदेश दे दिया.
हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पाया कि जेल में निर्मित उत्पादों की बिक्री से मिलने वाले आर्थिक लाभ से कैदी वंचित हो रहे थे . इसके परिणामस्वरूप, जेल में काम करने वाले कैदियों में देखा जा रहा था कि वह मानसिक दबाव और गुस्से का भी शिकार हो रहे थे. यह नीति न केवल कैदियों को आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि उनके मानसिक और सामाजिक पुनर्वास में भी मदद करेगी. हाईकोर्ट के इस फैसले को कैदियों के अधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
हिमाचल से मिली प्रेरणा
बता दें कि हिमाचल प्रदेश ने 2021 में जेल विभाग के तहत एक योजना लागू की गई, इसके तहत कैदियों को उत्पादों की बिक्री से मुनाफे का 40 प्रतिशत हिस्सा दिया जाने लगा. हाईकोर्ट ने कहा कि यदि सरकार कैदियों के बनाए उत्पादों से मुनाफा कमा रही है, तो कैदियों को भी इसका हिस्सा मिलना चाहिए.