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हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला- जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए गठित की STF

हरियाणा समेत कई राज्यों में आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से जूझ रहे युवाओं को जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. हरियाणा के मेवात में जबरन धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आया है.

Updated on: 25 Aug 2021, 10:49 PM

नई दिल्ली:

हरियाणा समेत कई राज्यों में आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव से जूझ रहे युवाओं को जाल में फंसाकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है. हरियाणा के मेवात में जबरन धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आया है. जबरन धर्मांतरण को लेकर हरियाणा सरकार (Haryana government) ने बुधवार को बड़ा फैसला लिया है. सीएम मनोहर लाल खट्टर (CM Manohar Lal Khattar) ने जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए एसटीएफ (STF) गठित की है. इस जानकारी गृह मंत्री अनिल विज ने दी है. मेवात में भी जबरन धर्मांतरण के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. 

आपको बता दें कि जबरन धर्मांतरण मामले में नूंह पुलिस ने दो अलग-अलग मुकदमे दर्ज कर दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है. मेवात जिले में इस तरह का यह पहला मामला सामने आया है. पुलिस अब इस पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुट गई है.

UP में धर्म परिवर्तन विधेयक पास, होगी 10 साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना

उत्तर प्रदेश विधानसभा में धर्म परिवर्तन विधेयक पास हो गया है. अब अगर आपने किसी के साथ जबरन धर्म परिवर्तन किया या करवाया तो इस विधेयक के मुताबिक 10 साल तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा इस जुर्म में आपको 50 हजार रुपयों का जुर्माना भी देना होगा. अगर आप किसी का धर्म परिवर्तन कर रहे हो या फिर करवा रहे हो तो इसके लिए आपको पहले से आवेदन करना होगा और जिलाधिकारी को इसके बारे में सूचित कर उनसे इसकी अनुमति लेनी होगी. अगर आप ने सरकार द्वारा जारी की गई इन गाइड लाइंस को फॉलो नहीं किया तो फिर आप को जबरन धर्म परिवर्तन का दोषी पाया जाएगा और आप को 10 साल तक कैद की सजा हो सकती है साथ आप पर 50 हजार रुपयों का जुर्माना भी किया जा सकता है.

आपको बता दें कि पिछले महीने ही धर्मांतरण अध्यादेश पर उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की ट्रांसफर याचिका को खारिज कर दिया था. आपको बता दें कि धर्मांतरण मामले में योगी सरकार की तरफ से एससी में ट्रांसफर करने की याचिका डाली गई थी.  सुप्रीम कोर्ट ने धर्म परिवर्तन मामलों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की मांग को खारिज कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट जब इस मामले पर गौर कर रहा है तो हम किस आधार पर उसे यहां ट्रांसफर करें और हम चाहेंगे कि हाई कोर्ट इस पर फैसला दें. उसके बाद अगर आप संतुष्ट ना हों तब सुप्रीम कोर्ट में अपील करें.