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हिसार में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर दर्ज केस वापस लेगी प्रशासन

संयुक्त किसान मोर्चा के तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री खुद अगर किसानों के खिलाफ बयानबाजी व झूठे मुकदमे बंद करें व कोरोना का सही ढंग से नियंत्रण करें तो किसान इस तरह सड़को पर नहीं निकलेंगे.

Updated on: 24 May 2021, 07:40 PM

चंडीगढ़ :

हरियाणा के हिसार में किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक किसान की मौत हो गई है. मरने वाले किसान की पहचान हिसार के ही उगालन गांव के अजायब सिंह के रूप में हुई है. उनकी उम्र 70 साल बताई जा रही है. प्रदर्शन में शामिल किसान नेताओं ने कहा कि अजायब सिंह का अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा.  इसके विरोध में हिसार के क्रांतिमान पार्क में इकट्ठे होकर किसानों ने हिसार कमिश्नरेट का घेराव करने का ऐलान किया था. किसानों के हिसार में आने के कारण के दबाव में प्रशासन को तुरंत एक मीटिंग बुलानी पड़ी.

इस मीटिंग में संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेताओं समेत हिसार के किसानों के एक प्रतिनिधि मंडल ने भाग लिया. प्रशासन के साथ चली बातचीत में किसानों की मांगें मान ली गयी. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि 16 मई की घटना से संबंधित किसानों पर दर्ज पुलिस मुक़दमे वापस लिए जाएंगे. शहीद हुए किसान रामचंद्र के परिवार के योग्य सदस्य को जिला प्रशासन द्वारा सरकारी नौकरी दी जाएगी. किसानों की गाड़ियां जो पुलिस द्वारा तोड़ी गई थी, वह प्रशासन द्वारा ठीक करवाई जाएगी.

संयुक्त किसान मोर्चा के तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि मुख्यमंत्री खुद अगर किसानों के खिलाफ बयानबाजी व झूठे मुकदमे बंद करें व कोरोना का सही ढंग से नियंत्रण करें तो किसान इस तरह सड़को पर नहीं निकलेंगे. हरियाणा के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री समेत तमाम भाजपा व जजपा नेता ही इन सभी आंदोलनों के लिए किसानों को प्रोत्साहित करते हैं. ताकि कोरोना का इल्जाम किसानों पर लगाया जा सके और खराब स्वास्थ्य प्रबंधन से ध्यान हटाया जा सके.

बता दें कि क्रांतिमान पार्क में आयोजित सभा मे किसान रामचन्द्र का हार्ट अटैक आने से निधन हो गया.  सयुंक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार से भी अपील की है कि किसानों को बदनाम करने की बजाय तीन कृषि कानून वापस ले, एमएसपी पर कानून बनाए तो किसान अपने आप घर चले जाएंगे. सयुंक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार जानबूझकर किसानों की मांग पूरा नहीं कर रही है. जब सरकार से ऑक्सीजन व आईसीयू बेड का प्रबंधन नहीं हो रहा था तब भी दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों पर इल्जाम लगाया गया था. परंतु किसानों ने पहले से इमरजेंसी सेवाओं के लिए रास्ते खोले हुए थे इसलिए सरकार का वह प्रोपेगेंडा चला नहीं. अब जब सरकार कोरोना नियंत्रण में पूरी तरह फेल है वह अपनी गैर जिम्मेदाराना प्रबंधन का ठीकरा किसानों पर फोड़ना चाहती है जिसे किसान सफल नहीं होने देंगे.