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जेल में सजा काट रहे राम रहीम की तबियत बिगड़ी, अस्पताल में भर्ती

जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह  की तबियत बिगड़ गई है.  राम रहीम को पेट में दर्द की शिकायत के बाद पीजीआई रोहतक में भर्ती कराया गया है. गुरुवार सुबह करीब 7 बजे राम रहीम को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से पीजीआई लाया गया.

Updated on: 03 Jun 2021, 10:25 AM

highlights

  • राम रहीम को पेट में दर्द की शिकायत के बाद पीजीआई रोहतक में भर्ती कराया गया था
  • दो महिलाओं से रेप के आरोप में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी
  • 25 अगस्त, 2017 को उनकी सजा के कारण पंचकुला और सिरसा में हिंसा हुई थी

रोहतक:

जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की तबियत बिगड़ गई है. राम रहीम को पेट में दर्द की शिकायत के बाद पीजीआई रोहतक में भर्ती कराया गया है. गुरुवार सुबह करीब 7 बजे राम रहीम को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से पीजीआई लाया गया.  हालांकि करीब 2 घंटे के बाद उसे फिर से जेल पहुंचा दिया गया है. अस्पताल में राम रहीम का सीटी स्कैन किया गया.  इसके अलावा पेट और दिल की भी जांच की गई. बता दें कि राम रहीम हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद है. 

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डेरा प्रमुख ने गुरुग्राम में अस्पताल में भर्ती अपनी मां से मुलाकात की थी. अधिकारियों ने शनिवार को इस बात की पुष्टि की. पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि उसे गुरुग्राम के अस्पताल में कड़ी सुरक्षा के बीच ले जाया गया, जहां वह दिन में रुका था और शाम को फिर उसे जेल ले आया गया. 52 वर्षीय राम रहीम इस समय राज्य की राजधानी चंडीगढ़ से 250 किलोमीटर दूर रोहतक में उच्च सुरक्षा वाली सुनारिया जेल में बंद है.

उनकी जमानत याचिका कई बार न्यायालयों द्वारा खारिज कर दी गई है. 24 अप्रैल को अपनी बीमार मां से मिलने के लिए उसका तीन सप्ताह का पैरोल दो वजहों से खारिज कर दिया गया था. पहली वजह थी कि पैरोल उसकी रिहाई और सरेंडर के समय राज्य में कानून और व्यवस्था की समस्याएं पैदा कर सकता था.

गौरतलब है कि अगस्त 2017 में दो महिलाओं से रेप के आरोप में राम रहीम को 20 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. इस जनवरी 2019 में पंचकूला में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने भी राम रहीम और तीन अन्य को 16 साल पहले पत्रकार राम चंदर छत्रपति की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

25 अगस्त, 2017 को उनकी सजा के कारण पंचकुला और सिरसा में हिंसा हुई थी, जिसमें 41 लोग मारे गए थे और 260 से अधिक घायल हो गए थे. राम रहीम को अपने अनुयायियों के वोटों को प्रभावित करने की उनकी क्षमता के कारण लगभग दो दशकों तक पंजाब और हरियाणा में राजनीतिक नेताओं और पार्टियों द्वारा संरक्षण दिया गया था.