Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब आदित्य चौटाला ने इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) में शामिल होने का निर्णय लिया. इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने उन्हें पार्टी में शामिल करवाया, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई. आदित्य चौटाला के इनेलो में शामिल होने से उनके आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी की टिकट पर लड़ने की संभावनाएं भी प्रबल हो गई हैं. कुछ ही दिनों पहले आदित्य ने हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड के पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद से कयास लगाए जा रहे थे कि वह इनेलो में शामिल हो सकते हैं.
अभय चौटाला का दावा - इनेलो की ताकत बढ़ रही है
आपको बता दें कि अभय सिंह चौटाला ने आदित्य चौटाला के शामिल होने के मौके पर कहा कि इनेलो का कुनबा लगातार बढ़ रहा है और जल्द ही बीजेपी के कई और बड़े नेता भी इनेलो में शामिल हो सकते हैं. इससे इनेलो की स्थिति हरियाणा में और मजबूत होती दिख रही है. अभय चौटाला ने यह भी दावा किया कि इनेलो की बढ़ती लोकप्रियता से पार्टी के आगामी चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है.
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आदित्य चौटाला की राजनीतिक पृष्ठभूमि
वहीं आपको बता दें कि आदित्य चौटाला का राजनीतिक करियर भी कम दिलचस्प नहीं है. वे चौधरी देवीलाल के सबसे छोटे बेटे जगदीश चौटाला के पुत्र हैं. 2014 में वे भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हुए थे और 2019 में बीजेपी सरकार ने उन्हें स्टेट कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंक लिमिटेड का चेयरमैन नियुक्त किया था. हालांकि, उन्होंने इस पद से दो दिन पहले ही इस्तीफा दे दिया. 2019 के विधानसभा चुनाव में आदित्य चौटाला ने डबवाली सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार अमित सिहाग से हार गए थे.
परिवार में ही चुनावी मुकाबला
इसके साथ ही आपको बता दें कि आदित्य चौटाला का राजनीतिक सफर दिलचस्प इस लिहाज से भी है कि 2016 में हुए पंचायत चुनाव में उन्होंने अपनी ही भाभी, यानी अभय सिंह चौटाला की पत्नी कांता चौटाला को हरा दिया था. उन्होंने सिरसा जिला परिषद के जोन-4 से चुनाव लड़कर विजय हासिल की थी. आदित्य चौटाला जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) के खिलाफ भी मुखर रहे हैं. 2022 में उन्होंने जेजेपी नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के खिलाफ बयान देकर सुर्खियां बटोरी थीं.
जेजेपी के खिलाफ मुखरता
इसके अलावा आपको बता दें कि आदित्य चौटाला ने दुष्यंत चौटाला पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि वह हर जगह अपनी कर्मभूमि बदलते रहते हैं. कभी भिवानी को कर्मभूमि बताते हैं, तो कभी हिसार को. डबवाली में आते हैं, तो डबवाली को जन्मभूमि बताते हैं. उन्होंने आरोप लगाया था कि दुष्यंत चौटाला हल्के और दादा भी बदल लेते हैं-कभी रामकुमार गौतम को दादा बोलते हैं तो कभी ओम प्रकाश चौटाला को बोलते हैं.