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सूरत में मजदूरों ने फिर किया लॉकडाउन का उल्लंघन, सैलरी मांगने सड़कों पर उतरे

जानकारी के मुताबिक ये मजदूर बिहार और ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसी जगहों से आकर यहां फैक्ट्रियों में काम करते हैं

Updated on: 16 Apr 2020, 03:33 PM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस के चलते देशभर में जारी लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ा दिया गया है. ऐसे में सबसे ज्यादा दिकक्त प्रवासी मजदूरों को हो रही ह जिससे अब वह आक्रोशित हो रहे हैं और जगह-जगह लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को गुजरात के सूरत से भी भारी मात्रा में मजदूरों के एक जगह इकट्ठा होने की खबर सामने आ रही हैं. बताया जा रहाव है कि सूरत के पांडेसरा इलाके में मजदूर हंगामा कर रहे हैं औऱ मिल मालिकों पर सैलरी नहीं देने का आरोप लगा रहे हैं इसके अलावा मजदूर अपने गांव जाने की भी मांग कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस मौके पर पहुंचकर मजदूरों को समझाने की कोशिश कर रही है.

जानकारी के मुताबिक ये मजदूर बिहार और ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसी जगहों से आकर यहां फैक्ट्रियों में काम करते हैं. इससे पहले बुधवार को खाने-पीने की शिकायत को लेकर भी इन मजदूरों ने हंगामा किया था.

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बता दें, इससे पहले बुधवार को दिल्ली में भी लॉकडाउन (Lockdown) की धज्जियां उड़ाई गईं. दिल्ली में यमुना नदी के किनारे अचानक हजारों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर जमा हो गए. ये प्रवासी मजदूर जमकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने ट्वीट कर कहा कि यमुना घाट पर जुटे प्रवासी मजदूरों के खाने और रहने की व्यवस्था कर दी गई.

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दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यमुना घाट पर मजदूर इकट्ठा हुए. उनके लिए रहने और खाने की व्यवस्था कर दी है. उन्हें तुरंत शिफ्ट करने के आदेश दे दिए हैं. रहने और खाने की कोई कमी नहीं है. किसी को कोई भूखा या बेघर मिले तो हमें जरूर बताएं. उन्होंने कहा कि हम रोज 10 लाख लोगों को खाना खिलाते हैं, 75 लाख लोगों को मुफ्त राशन दिया. हजारों बेघरों के लिए छत का इंतजाम किया. लोग इतने गरीब हैं, कई लोगों को सरकारी इंतजाम का पता ही नहीं चलता है. थैंक यू मीडिया, ऐसे गरीबों के बारे में हमें बताने के लिए. हर गरीब तक सरकारी इंतजाम पहुंचाएंगे.

बताया जा रहा है कि इन लोगों को दिल्ली के अलग-अलग शेल्टर होम ले जाने का प्रयास हो रहा है. हालांकि, अभी ये स्पष्ट नहीं है कि ये मजदूर अपने-अपने राज्यों में जाने के लिए यहां इक्ट्ठा हुए हैं. यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो रहा है.