जूनागढ़ में लीली परिक्रमा के दौरान श्रद्धालुओं को आया हार्ट अटैक! 9 की मौत

Gujarat: गिरनार से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है. यहां जूनागढ़ स्थित गिरनार पर्वत पर आयोजित होने वाली लीली परिक्रमा के दौरान 8 श्रद्धालुओं की दुखद मौत हो गई. बताया जा रहा है कि सभी की जान हार्ट अटैक की वजह से गई है.

Gujarat: गिरनार से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है. यहां जूनागढ़ स्थित गिरनार पर्वत पर आयोजित होने वाली लीली परिक्रमा के दौरान 8 श्रद्धालुओं की दुखद मौत हो गई. बताया जा रहा है कि सभी की जान हार्ट अटैक की वजह से गई है.

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Yashodhan Sharma
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Junagarh Tragedy

गुजरात के गिरनार से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है. यहां जूनागढ़ स्थित गिरनार पर्वत पर आयोजित होने वाली लीली परिक्रमा के दौरान 8 श्रद्धालुओं  की दुखद मौत हो गई. बताया जा रहा है कि सभी की जान हार्ट अटैक की वजह से हुई है. पिछले 49 घंटों में 9 भक्तों की जान गई है, जिसके बाद से प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग चिंता में आ गया है. 

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ठहराव के साथ दें परिक्रमा

जानकारी के मुताबिक यहां मौके पर भारी भीड़ और गर्मी होने की वजह से यह धार्मिक आयोजन मातम में बदल गया. जूनागढ के सिविल अस्पताल के सुप्रिटेन्डेन्ट डॉ. कृतार्थ ब्रह्मभट्ट ने बताया कि अस्पताल में 8 शव लाए गए, जिनमें राजकोट के 3, मुंबई और अहमदाबाद के 1-1 व्यक्ति के अलावा गांधीधाम, देवला और अमरासर के 1-1 व्यक्ति शामिल थे. डॉक्टरों ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वे परिक्रमा में रुक-रुक कर चलें और किसी भी प्रकार की असुविधा होने पर तुरंत मेडिकल कैंप से संपर्क साधें. 

ये है परिक्रमा का धार्मिक महत्व

बता दें कि जूनागढ में स्थित गिरनार पर्वत पर हर साल आयोजित होने वाली लीली परिक्रमा इस बार भी बड़े धूमधाम से शुरू हुई. परिक्रमा की शुरुआत कार्तिकी एकादशी की मध्य रात्रि से होती है और लाखों श्रद्धालु इस अनुष्ठान में इसका  हिस्सा बनते हैं. इस पर्वत का धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है. बताते चलें इसे हिमालय के दादा के रूप में भी जाना जाता है. यह पर्वत शिवजी और पार्वती से जुड़ी कई कथाओं का केंद्र रहा है. यह मान्यता है कि 5200 साल पहले श्री कृष्ण और रुक्मणि ने इस पर्वत की पहली परिक्रमा की थी, जो आज भी श्रद्धालुओं द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ की जाती है. परिक्रमा का मार्ग लगभग 36 किलोमीटर लंबा होता है और इसमें श्रद्धालु चार रातें घने जंगलों में गुजारते हैं.

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