इस राज्य ने सिलेबस में शामिल किया भगवत गीता, दिया ये तर्क
गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वाघनी ने कहा कि 6 से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को भगवत गीता के सिद्धांत और उसके मूल्यों से परिचय करवाया जाएगा.
नई दिल्ली:
गुजरात के स्कूलों में नए शिक्षा सत्र से पाठ्यक्रम में भगवत गीता को शामिल करने का निर्णय लिया गया है. राज्य में कक्षा 6 से 12वीं तक के छात्रों को गीता पढ़ना अनिवार्य किया जायेगा. छात्रों के भारतीय संस्कृति और सभ्यता से परिचित कराने और मूल्यों-आदर्शों से अवगत कराने के लिए प्रदेश सरकार ने ये फैसला किया है. गुजरात के शिक्षा मंत्री जीतू वाघनी ने कहा कि 6 से 12वीं कक्षा तक के छात्रों को भगवत गीता के सिद्धांत और उसके मूल्यों से परिचय करवाया जाएगा. जिसके तहत भगवत गीता का पाठ आने वाले नए शिक्षा सत्र में शुरू किया जाएगा. गुजरात सरकार के इस निर्णय के तहत छात्र गीता के मूल्यों को जान सकें, इसके लिए गीता पर वक्तृत्व स्पर्धा, श्र्लोक गान और साहित्य का आयोजन भी किया जाएगा.
गुजरात में बीजेपी की सरकार है और बीजेपी लंबे समय से भारतीय संस्कृति और मूल्यों को पाठ्यक्रम का अंग बनाने की वकालत करती रही है. इसमें कोई शक नहीं कि गीता भारतीय दर्शन का निचोड़ है. गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं. महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है. यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है.
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गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं. अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है. उपनिषदों को गौ (गाय) और गीता को उसका दुग्ध कहा गया है. इसका तात्पर्य यह है कि उपनिषदों की जो अध्यात्म विद्या थी, उसको गीता सर्वांश में स्वीकार करती है. उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं. जैसे, संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या. इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है. उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा गया है.
महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं. श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है.
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