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संत सूरदास योजना Photograph: (Meta AI)
गुजरात सरकार द्वारा संचालित संत सूरदास योजना राज्य के सबसे कमजोर वर्गों में शामिल गंभीर दिव्यांग बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा पहल है. यह योजना Department of Social Justice & Empowerment, Gujarat के सामाजिक रक्षा निदेशक के माध्यम से लागू की गई है. इसका उद्देश्य ऐसे परिवारों को आर्थिक सहारा देना है, जो गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और जिनके बच्चे 80 प्रतिशत या उससे अधिक दिव्यांगता से पीड़ित हैं.
कौन उठा सकता है योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ केवल गुजरात राज्य के मूल निवासी दिव्यांग बच्चों को दिया जाता है. लाभार्थी की आयु 0 से 17 वर्ष के बीच होनी चाहिए. दिव्यांगता का प्रतिशत 80 या उससे अधिक होना अनिवार्य है या फिर ऐसा दिव्यांग होना चाहिए जो कृत्रिम अंगों की सहायता से भी स्वतंत्र रूप से चलने-फिरने में असमर्थ हो. इसके साथ ही लाभार्थी का नाम बीपीएल सूची में दर्ज होना चाहिए और बीपीएल स्कोर 20 तक होना आवश्यक है.
आर्थिक सहायता का स्वरूप
संत सूरदास योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा प्रति माह 1000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है. यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है और बिचौलियों की भूमिका समाप्त होती है. हालांकि, जैसे ही लाभार्थी 18 वर्ष की आयु पूर्ण करता है, योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता स्वतः बंद कर दी जाती है.
क्या क्या लगेंगे दस्तावेज?
योजना का लाभ लेने के लिए पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, दिव्यांगता प्रमाण पत्र या दिव्यांग पहचान पत्र, आयु प्रमाण पत्र, बीपीएल सूची में नाम होने का प्रमाण, निवास प्रमाण पत्र और बैंक पासबुक या रद्द चेक की प्रति अनिवार्य है. आवश्यकता पड़ने पर विभाग अन्य दस्तावेज भी मांग सकता है.
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया क्या है?
इच्छुक और पात्र आवेदक e-Samaj Kalyan Portal के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. पोर्टल पर नए उपयोगकर्ता के रूप में पंजीकरण करने के बाद प्रोफाइल अपडेट कर योजना का चयन करना होता है. सभी आवश्यक विवरण भरकर दस्तावेज अपलोड करने के बाद आवेदन सबमिट किया जाता है. आवेदन संख्या के माध्यम से आवेदक अपने आवेदन की स्थिति भी ऑनलाइन ट्रैक कर सकता है.
सामाजिक प्रभाव और महत्व
संत सूरदास योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि दिव्यांग बच्चों के प्रति समाज और सरकार की संवेदनशीलता को भी दर्शाती है. यह योजना बीपीएल परिवारों के लिए एक सहारा बनकर उभर रही है और समावेशी विकास की दिशा में गुजरात सरकार के प्रयासों को मजबूत करती है.
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