सदियों बाद शक्तिपीठ पावागढ़ मंदिर पर होगा ध्वजारोहण, 18 जून को PM चढ़ाएंगे धजा
गुजरात के प्रसिद्ध यात्रधाम और शक्तिपीठ पावागढ़ महाकाली माता के मंदिर पर अब सदियों बाद धजा चढ़ने जा रही है, और इस इतिहासिक क्षण के साक्षी होगे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.
नई दिल्ली:
गुजरात के प्रसिद्ध यात्रधाम और शक्तिपीठ पावागढ़ महाकाली माता के मंदिर पर अब सदियों बाद धजा चढ़ने जा रही है, और इस इतिहासिक क्षण के साक्षी होगे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर से गुजरात के दौरे पर हैं, 18जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात आ रहे हैं. ओर अपने दौरे की शुरुवात मोदी मां महाकाली के दर्शन कर करेंगे, और मंदिर पर धजा भी चढ़ाएंगे। ये क्षण वाकई में ऐतिहासिक है क्योंकि सदियों बाद शक्तिपीठ पावागढ़ में धजा चढ़ने जा रही है, सालो से मंदिर का शिखर खंडित था और हिंदू मान्यता के मुताबिक खंडित शिखर पर धजा नही चढ़ाई जाती। लेकिन अब मंदिर पूरी तरह रिनोवेट हो चुका है और मां महाकाली का शिखर भी सोने से मढ़ा हूवा तैयार हो चुका है।
गौरतलब है कि PM नरेंद्र मोदी भी इस शक्तिपीठ मंदिर में पहली बार जा रहे हैं, जब वो गुजरात के सीएम थे तभी भी वो इस मंदिर में नहीं आए थे, लेकिन अब जब मंदिर का शिखर बन कर तैयार है तब पीएम के हाथों सारी विधियों के साथ शिखर पर धजा चढ़ाई जाएगी। पीएम की सुरक्षा के कारणों को देखते हुए 16 से 18 जून महाकाली मंदिर बंद रखने का निर्णय लिया गया है.
पावागढ़ में धजा चढ़ाने के बाद प्रधानमंत्री वडोदरा जाएंगे। वडोदरा में पीएम गुजरात गौरव अभियान में हिस्सा लेंगे, और 8900 पीएम आवास योजना के आवासों का लोकार्पण करेंगे, वडोदरा गति शक्ति बिल्डिंग और 16,396 करोड़ के रेल प्रोजेक्ट का लोकार्पण करेंगे.
पावागढ़ का इतिहास
पावागढ़ पहाड़ियों की तलहटी में चंपानेर नगरी है, जिसे महाराज वनराज चावड़ा ने अपने बुद्धिमान मंत्री चंपा के नाम पर बसाया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है। विक्रम संवत 1540 में मुस्लिम सुलतान मोहम्मद बेगदो ने इस मंदिर पर हमला किया था। इस मंदिर का पुनर्निर्माण कनकाकृति महाराज दिगंबर भत्रक ने कराया। इस मंदिर को एक जमाने में शत्रुंजय मंदिर कहा जाता था। इस मंदिर का धार्मिक महत्व भी है। मंदिर की छत पर मुस्लिमों का एक पवित्र स्थल है। इस पवित्र स्थान पर अदानशाह पीर की दरगाह स्थित है। यहाँ बड़ी संख्या में मुस्लिम श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।
पावागढ़ का इतिहास और इससे जुड़ी रोचक बातें
पावागढ़ गुजरात का एक प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल है।- पावागढ़ पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ 52 शक्तिपीठों में से एक हैं।
- पावागढ़ की पहाड़ी पर माँ काली का प्राचीन मंदिर स्थित है।
- यहाँ पर प्राचीन ऋषि विश्वामित्र ने माता काली की कठोर तपस्या की थी।
- पावागढ़ की ऊंचाई समुंद तल से करीब 762 मीटर है।
- इस शक्तिपीठ तक पहुँचने के लिए रोपवे और सीडियाँ दोनों सुविधा उपलबद्ध है।
- यहाँ प्रतिवर्ष माध महीने के शुक्ल पक्ष त्रियोदशी को भव्य मेला का आयोजन होता है।
- कहा जाता है की यहाँ लव और कुश ने मोक्ष की प्राप्ति की थी।
पावागढ़ जैन संप्रदाय के लिए भी काफी महत्व रखता है। - पावागढ़ के गोद में बसा चंपानेर नगर को प्राचीन गुजरात की राजधानी माना जाता है।
- इस स्थल को विश्व प्रसिद्ध संस्था यूनेस्को ने सं 2004 में विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया।
पावागढ़ की कहानी
जैसा की हम जानते हैं की वडोदरा से करीब 46 किमी दूर पावागढ़ एक पहाड़ पर स्थित है। जहाँ की उच्च चोटी पर माता काली विराजमान हैं। धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस स्थल को ‘रावल वंश के शासक से भी जुड़ा है।
इस स्थान पर कभी रावल वंश के राजा राज्य करते थे। लोक कथाओं के अनुसार एक बार नवरात्र उत्सव के दौरान गरबा में माँ काली एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर शामिल हो गई।
वहाँ के राजा ने गरबा करते हुए उस सुंदर स्त्री के ऊपर कुदृष्टि डाली। परिणाम स्वरूप माँ ने उन्हें शाप दे दिया। जिसके कारण उसका राज्य छिन्न भिन्न हो गया। ओर कुछ वक्त बाद ही मोहमद बेगड़ो ने पावागढ़ को जीत लिया।
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